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कल्याणबली ]
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[ कविमनोरंजक चम्पू
गृह्यसूत्र का सम्बन्ध कोथुमशाखा से है । खादिर गृह्यसूत्र पर रुद्रस्कन्ध की टीका मिलती । अथर्ववेद का गृह्यसूत्र है कौशिक गृह्यसूत्र ।
धर्मसूत्र – इन ग्रन्थों में चार वर्णों एवं चार आश्रमों के कत्र्तव्यों तथा राजाओं के कर्तव्यों का वर्णन है । [ इनके विवरण के लिए दे० धर्मशास्त्र ] शुल्बसूत्र - इसमें यज्ञ के निमित्त वेदी के निर्माण का वर्णन है । इन ग्रन्थों में प्राचीन आर्यों के ज्यामितिविषयक ज्ञान का निरूपण है । शुल्ब का अर्थ है रस्सी । इस शास्त्र में रज्जु या रस्सी द्वारा नापी गयी वेदी का वर्णन है । इसके तीन प्राचीन ग्रन्थ हैं —— बोधायन, आपस्तम्ब तथा कात्यायन शुल्बसूत्र । दे० वैदिक साहित्य और संस्कृति – पं० बलदेव उपाध्याय । कल्याणबल्ली कल्याण - यह चम्पू काव्य है जिसके रचयिता हैं श्री रामानुज देशिक | ये 'रामानुजचम्पू' नामक काव्य के रचयिता रामानुजाचार्य के पितृव्य थे । इस प्रकार इनका समय सोलहवीं शताब्दी का उत्तर चरण है । 'लिंगपुराण' के गौरीकल्याण के आधार पर इस चम्पूकाव्य की रचना हुई है । यह ग्रन्थ अभी तक अप्रकाशित है इसका विवरण डिस्क्रिप्टिव कैटलॉग मद्रास २११८२७५ में प्राप्त होता है ।
आधारग्रन्थ- - चम्पूकाव्य का विवेचनात्मक एवं ऐतिहासिक अध्ययन - डॉ० छविनाथ त्रिपाठी ।
कल्याणवर्मा—ये भारतीय ज्योतिष के प्रसिद्ध आचार्य हैं । इनका समय ५७८ ई० है, पर पं० सुधाकर द्विवेदी ( आधुनिक युग के प्रसिद्ध ज्योतिषशास्त्री ) के अनुसार इनका समय ५०० ई० है । [ दे० गणन तरंगिणी पृ० १६ ] इन्होंने 'सारावली' नामक जातकशास्त्र की रचना की है जिसमें ४२ अध्याय हैं । यह ग्रन्य वराहमिहिर रचित 'बृहज्जातक' से भी आकार में बड़ा है। लेखक ने स्वीकार किया है कि इस ग्रन्थ की रचना वराहमिहिर, यवनज्योतिष एवं नरेन्द्रकृत 'होराशास्त्र' के आधार पर हुई है और उनके मत का सार-संकलन किया गया है। भट्टोत्पल नामक ज्योतिषशास्त्री ने 'बृहज्जातक' की टीका में इनके इलोकों को उद्धृत किया है। 'सारावली' में ढाई हजार से श्लोक हैं । इन्होंने अपने सम्बन्ध में एक श्लोक लिखा हैदेवग्रामपयः प्रपोषणबलाद् ब्रह्माण्डसत्पन्जरं
कुछ अधिक
कोतिः सिंहविलासिनीव सहसा यस्येह भित्त्वा गता । होरां व्याघ्रभटेश्वरो रचयति स्पष्टां तु सारावलीं
श्रीमान् शास्त्रविचारनिर्मलमनाः कल्याणवर्मा कृती ॥
( डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री - भारतीय ज्योतिष से उद्धृतः पृ० १२६
'सारावली' का प्रकाशन 'निर्णयसागर प्रेस' से हुआ है ।
आधारग्रन्थ - १. भारतीय ज्योतिष - शंकर बालकृष्ण दीक्षित ( हिन्दी अनुवाद, हिन्दी - समिति ) २. भारतीय ज्योतिष – डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री ३ भारतीय ज्योतिष का इतिहास - डॉ० गोरखप्रसाद ।
कविमनोरंजक चम्पू- इस चम्पू- काव्य के प्रणेता कवि सीताराम सूरि हैं । इनका जन्म, तिरुकुरुडिग ग्राम में हुआ था जो तिरुनेलवेलि जिले में है । कवि का जन्म