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अर्थशास्त्र की प्रामाणिकता ]
( १५३ )
[ अर्थशास्त्र की प्रामाणिकता
का अध्यक्ष, आयुधागार का अध्यक्ष, बाबकारी विभाग, अश्व विभाग, गजशाला अध्यक्ष, रथ-सेना, पैदल सेना के अध्यक्षों तथा सेनापतियों के कार्यों का निरीक्षण, मुद्राविभाग, मद्यशाला के अध्यक्ष, बधस्थान, वेश्यालय, परिवहन विभाग, पशु विभाग ।
तृतीय अधिकरण — इसका नाम धर्मस्थानीय है । इसमें वर्णित विषय हैं- सतनामों का लेखन प्रकार एवं तत्सम्बन्धी विवाद, न्याय-विवाह सम्बन्ध, धर्म-विवाह, स्त्री-धन, स्त्री का पुनर्विवाह, पति-पत्नी सम्बन्ध, दाय-विभाग, उत्तराधिकार नियम, गृहनिर्माण, ॠण, धरोहर सम्बन्धी नियम, दास एवं श्रमिक सम्बन्धी नियम, दान के नियम, साहस तथा दण्ड के नियम ।
चतुर्थ अधिकरण - इसका नाम कंटकशोधन है । इसमें वर्णित विषयों की सूची इस प्रकार है— शिल्पकारों तथा व्यापारियों की रक्षा, दैवी विपत्तियों से प्रजा की रक्षा, सिद्धवेषधारी गुप्तचरों द्वारा दुष्टों का दमन, शंकित पुरुषों की पहचान, सन्देह पर अपराधियों को बन्दी बनाना, सभी प्रकार के राजकीय विभागों की रक्षा, विविध प्रकार के दोषों के लिए आर्थिक दण्ड, बिना पीड़ा या पीड़ा के साथ मृत्यु-दण्ड, रमणियों के साथ समागम, कुमारी कन्या के साथ संभोग का दण्ड ।
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पञ्चम अधिकरण —— इसका नाम योगवृत्त है । इसके अन्तर्गत वर्णित विषय इस प्रकार हैं- राजद्रोही उच्चाधिकारियों के सम्बन्ध में दण्ड-व्यवस्था, दरबारियों का आचरण, विशेष अवसर पर राज्यकोष को सम्पूरित करना, राज्यकर्मचारियों के वेतन, राज्यशक्ति की संस्थापना, व्यवस्था का यथोचित पालन, विपत्तिकाल में राज-पुत्र का अभिषेक तथा एकछत्र राज्य की प्रतिष्ठा ।
षष्ठ अधिकरण – इसका नाम मण्डलयोनि है । इसमें प्रकृतियों के गुण तथा शान्ति और उद्योग का वर्णन है ।
सप्तम अधिकरण- इसका नाम बाड्गुण्य है। इसमें वर्णित विषय हैं- -छः गुणों का उद्देश्य तथा क्षय, स्थान एवं बुद्धि का निश्चय, बलवान् का आश्रय, सम, हीन तथा बलवान् राजाओं के चरित्र और होन राजा के साथ सम्बन्ध, राज्यों का मिलान, मित्र, सोना या भूमि की प्राप्ति के लिए सन्धि, मित्रसन्धि और हिरण्यसन्धि आदि ।
प्रकार हैं - सार्वभौम सत्ता के तत्त्वों के व्यसनों के सामान्य पुरुषों के व्यसन, पीड़न वर्ग, स्तम्भ वर्ग मित्र व्यसन |
अष्टम अधिकरण - इस अधिकरण का नाम व्यसनाधिकारिक है। इसके विषय इस विषय में राजा और राज्यों के कष्ट, और कोषसङ्ग वर्ग, सेना-व्यसन तथा
नवम अधिकरण — इसका नाम अभियास्यत्कर्म है । इसके अन्तर्गत वर्णित विषयों की सूची इस प्रकार है-शक्ति, देश, काल, बल-अबल का ज्ञान और आक्रमण का समय, सैन्य-संग्रह का समय, सैन्य संगठन और शत्रुसेना का सामना, बाह्य तथा आभ्यन्तर आपत्ति, राजद्रोही तथा शत्रुजन्य आपत्तियाँ, अर्थ - अनर्थ तथा संशय सम्बन्धी आपत्तियाँ और उनके प्रतिकार के उपाय से प्राप्त होने वाली सिद्धियों का वर्णन |
दशम अधिकरण - इस अधिकरण का नाम सांग्रामिक अधिकरण है । इसमें इन विषयों का वर्णन है— युद्ध के बारे में सेना का पड़ाव डालना, सेना का अभियान,