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वादिराजसूरि]
[वात्स्यायन कामसूत्र
हो चुकी हैं-उग्वट का भाष्य एवं अनन्त भट्ट की व्याख्या केवल मद्रास विश्वविद्यालय से प्रकाशित है और उव्वट भाष्य का प्रकाशन कई स्थानों से हो चुका है।
आधारग्रन्थ-वैदिक साहित्य और संस्कृति-पं० बलदेव उपाध्याय ।
वादिराजसूरि-ये जैनदर्शन के प्रसिद्ध आचार्य हैं। इनका आविर्भाव नवम शताब्दी में हुआ है। वे दिगम्बर सम्प्रदाय के महनीय तर्कशास्त्री माने जाते हैं । वादिराज दक्षिण के सोलंकीवंशी नरेश जयसिंह प्रथम के समसामयिक माने जाते हैं जिनका समय शक संवत् ९३८ से ९६४ है। इन्होंने 'न्यायविनिश्चयनिर्णय' नामक महत्त्वपूर्ण जैनन्याय का ग्रन्थ लिखा है। यह अन्य भट्ट अकलंक कृत 'न्यायविनिश्चय' का भाष्य है । इन्होंने 'पाश्र्वनाथचरित्र' मामक सुप्रसिद्ध काव्य ग्रन्थ की भी रचना की है।
आधारग्रन्थ-भारतीयदर्शन-आचार्य बलदेव उपाध्याय ।
वात्स्यायन-न्यायसूत्र के प्रसिद्ध भाष्यकर्ता वात्स्यायन हैं। इनके ग्रन्थ में अनेक वात्तिकों के उद्धरण प्राप्त होते हैं जिससे ज्ञात होता है कि इनके 'पूर्व भी न्यायसूत्र पर व्याख्या ग्रन्थों की रचना हुई थी, पर सम्प्रति वात्स्यायन का भाष्य ही एतद्विषयक प्रथम उपलब्ध रचना है। इनके भाष्य के ऊपर उद्योतकराचार्य ने विस्तृत वात्तिक की रचना की है [ दे० उद्योतकर ] । वात्स्यायन का ग्रन्थ 'वात्स्यायनभाष्य' के नाम से प्रसिद्ध है जिसका समय विक्रम पूर्व प्रथम शतक माना जाता है। संस्कृत में वात्स्यायन नाम के अनेक व्यक्ति हैं जिनमें कामसूत्र के रचयिता वात्स्यायन भी हैं। पर, न्यायसूत्र के भाष्यकार वात्स्यायन उनसे सर्वथा भिन्न है [ ३० कामशास्त्र]। हेमचन्द्र की 'अभिधानचिन्तामणि' में वात्स्यायन के अनेक नामों का निर्देश है जिनमें चाणक्य का भी नाम आ जाता है। 'वात्स्यायनो मखनागः कौटिल्यश्चणकात्मजः'। द्रामिल: पक्षिलस्वामी, विष्णुगुप्तोऽगुलश्च सः ॥' यहाँ वात्स्यायन, पक्षिलस्वामी, चाणक्य और कौटिल्य एक व्यक्ति के नाम कहे गये हैं। 'वात्स्यायनभाष्य' के प्रथम सूत्र के अन्त में चाणक्यरचित 'अर्थशास्त्र' का एक श्लोक भी उद्धृत है, अतः विद्वानों का अनुमान है कि कौटिल्य ही न्यायसूत्र के भाष्यकार हैं। 'प्रदीपः सर्वविद्यानामुपायः सर्वकर्मणाम् । आश्रयः सर्वधर्माणां विद्योद्देशे प्रकीर्तिता ॥' पर, यह मत अभी तक पूर्णतः मान्य नहीं हो सका है । वात्स्यायन ने 'न्यायदर्शन' अध्याय २, अ० १, सूत्र ४० की व्याख्या में उदाहरण प्रस्तुत करते हुए भात बनाने की विधि का वर्णन किया है जिसके आधार पर विद्वान् इन्हें द्रविड़ देश का निवासी मानते हैं।
आधारग्रन्थ-१. इण्डियन फिलॉसफी-भाग २-डॉ. राधाकृष्णन् २. भारतीयदर्शन-आ० बलदेव उपाध्याय । ३. हिन्दी तकभाषा-आ० विश्वेश्वर ।
वात्स्यायन कामसूत्र-यह भारतीय कामशास्त्र या कामकलाविज्ञान का अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं विश्वविश्रुत ग्रन्थ है। इसके लेखक वात्स्यायन के नाम पर ही इसे 'वात्स्यायन कामसूत्र' कहा जाता है। वात्स्यायन एवं चाणक्य के जीवन, स्थितिकाल तथा नामकरण के सम्बन्ध में प्राचीनकाल से ही मतभेद दिखाई पड़ता है। कौटिल्य तथा वात्स्यायन 'हेमचन्द्र', 'वैजयन्ती', 'त्रिकाण्डशेष' तथा 'नाममालिका' प्रभृति कोशों