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धनेश्वर सूरि]
( २२६ )
[धर्मविजय चम्पू
रसः स एव स्वायत्वाद्रसिकस्यैव वर्तनात् ।
नानुकायस्य वृत्तत्वात् काव्यस्यातत्परत्वतः ॥ ४॥३८ । बाधारग्रन्थ-१. हिन्दी दशरूपक-डॉ० भोलाशङ्कर व्यास २. संस्कृत काव्यशास्त्र का इतिहास-डॉ० पा० वा. काणे।
धनेश्वर सूरि (६१० ई.)-ये प्रसिद्ध जैनाचार्य थे। इन्होंने 'शत्रुब्जय' नामक महाकाव्य की रचना की है। इसमें १४ सर्गों में राजाओं की प्रसिद्ध दन्तकथा का वर्णन है।
धर्मकीर्ति-बौद्धप्रमाणशास्त्र के अद्भुत विद्वानों में आचार्य धर्मकीत्ति का नाम लिया जाता है (दे० बौद्धदर्शन )। ये आचार्य दिङ्नाग की शिष्य परम्परा के आचार्य ईश्वरसेन के शिष्य थे। इनका उल्लेख चीनी यात्री इत्सिङ्ग के ग्रन्थ में है। तिब्बती परम्परा के अनुसार ये कुमारिल भट्ट (दे० कुमारिल ) के भागिनेय माने जाते हैं । इनका जन्म चोलदेश के अन्तर्गत 'तिरुमलई' नामक ग्राम में हुआ था। ये जाति के ब्राह्मण थे। किंवदन्तियां इन्हें, ब्राह्मणदर्शन के अध्ययन के हेतु, कुमारिल के यहाँ सेवक के रूप में रहने का भी कथन करती हैं। पर, सारी बातें कपोलकल्पित हैं। नालन्दा के तत्कालीन पीठस्थविर धर्मपाल से दीक्षा ग्रहण कर ये धर्मसंघ में दीक्षित हुए थे। इनका समय ६२५ ई. के लगभग है। बौद्धप्रमाणशास्त्र पर इन्होंने सात ग्रन्थों का प्रणयन किया है जिनमें 'प्रमाणवात्तिक' एवं 'न्यायबिन्दु' अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
१. प्रमाणवात्तिक-यह १५०० श्लोकों में रचित बौद्धन्याय का युगप्रवत्तक ग्रन्थ हैं। स्वयं धर्मकीत्ति ने इस पर टीका लिखी है। इसमें चार परिच्छेद हैं। जिनमें क्रमशः स्वार्थानुमान, प्रमाणसिद्धि, प्रत्यक्षप्रणाम एवं परार्थानुमान का विशद विवेचन है।
२. प्रमाण विनिश्चय-इसकी रचना १३४० श्लोकों में हुई है, किन्तु मूलग्रन्थ उपलब्ध नहीं होता।
३. न्यायबिन्दु-यह बौढन्याय का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसकी रचना सूत्रशैली में हुई है। यह ग्रन्थ तीन परिच्छेदों में है। प्रथम परिच्छेद में प्रमाण एवं प्रत्यक्ष का विवेचन है तथा द्वितीय में अनुमान के दो प्रकारों-स्वार्थ एवं परार्थानुमान तथा हेत्वाभास का निरूपण है। तृतीय परिच्छेद में परार्थानुमान एवं तत्संबंधी विविध विषय वर्णित हैं । (हिन्दी अनुवाद सहित चौखम्बा संस्कृत सरीज में प्रकाशित )।
४. सम्बन्ध-परीक्षा एवं ५. हेतुबिन्दु दोनों लघु ग्रन्थ हैं। ६. वादन्याय में वादों का वर्णन है।
७. सन्तानान्तर सिद्धि-यह लघु ग्रन्थ है जिसमें ७२ सूत्र हैं। ___ आधारग्रन्थ-१. बौद्धदर्शन-आ० बलदेव उपाध्याय २. बौद्धधर्म के विकास का इतिहास-डॉ. गोविन्दचन्द्र पाण्डे ।
धर्मविजय चम्पू-इस चम्पू काव्य के प्रणेता नल्ला दीक्षित हैं जिनका समय