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पतञ्जलि]
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[पतञ्जलि
पतन्जलि का समय-बहुसंख्यक भारतीय एवं पाश्चात्य विद्वानों के अनुसार पतजलि का समय १५०ई० पू० है । पर मीमांसक जी ने जोर देकर बताया है कि पतजलि विक्रम संवत् से दो हजार वर्ष पूर्व हुए थे। इस सम्बन्ध में अभी तक कोई निश्चित प्रमाण प्राप्त नहीं हो सका है। पर अन्तःसाक्ष्य के आधार इनका समयनिरूपण उतना कठिन नहीं है । 'महाभाष्य' के वर्णन से पता चलता है कि पुष्पमित्र ने किसी ऐसे विशाल यज्ञ का आयोजन किया था जिसमें अनेक पुरोहित थे और उनमें एक पतन्जलि भी थे। वे स्वयं ब्राह्मण याजक थे और इसी कारण उन्होंने क्षत्रिय याजक पर कटाक्ष किया है
यदि भवद्विधः क्षत्रियं याजयेत् ३-३-१४७ पृ० ३३२ पुष्यमित्रो यजते, याजकाः याजयन्ति । तत्र भवितव्यम् पुष्यमित्रो याजयते, याजकाः
याजयन्तीति यज्यादिषु चाविपर्यासो वक्तव्यः । महाभाष्य पृ० ७४, ३३११२६ इससे पता चलता है कि पतम्जलि का आविर्भाव कालिदास के पूर्व एवं पुष्यमित्र के राज्यकाल में हुआ था। 'मत्स्यपुराण' के मत से पुष्यमित्र ने ३६ वर्षों तक राज्य किया था । पुष्यमित्र के सिंहासनासीन होने का समय १८५ ई० पू० है और ३६ वर्ष कम कर देने पर उसके शासन की सीमा १४९ ई०पू० निश्चित होती है । गोल्डस्टुकर ने 'महाभाष्य' का काल १४० से १२० ई० पू० माना है । डॉ० भण्डारकर के अनुसार पतजलि का समय १५८ ई० पू० के लगभग है। पर प्रो० बेबर के अनुसार इनका समय कनिष्क के बाद अर्थात् ई० पू० २५ वर्ष होना चाहिए। डॉ० भण्डारकर ने बेबर के इस कथन का खण्डन कर दिया है। बोलिक पतन्जलि का समय २०० ई० पू० मानते हैं ( पाणिनिज ग्रामेटिक पृ० ११) जिसका समर्थन मैक्समूलर ने भी किया है। कीथ के अनुसार पतन्जलि का समय १५० ई० पू० है किन्तु अपने ग्रन्थ 'संस्कृत ड्रामा' में इन्होंने इसे १४० ई० पू० मान लिया है।
पतम्जलि का निवासस्थान-पतन्जलि ने कात्यायन को दाक्षिणात्य कहा है। 'लघुशब्देन्दुशेखर' तथा 'पतन्जलिचरित' काव्य से पता चलता है कि इनका निवासस्थान गोनर्द था और यही प्रामाणिक भी लगता है। डॉ० भण्डारकर के अनुसार वर्तमान अवध का गोंडा ही गोनदं का अपभ्रंश है । 'महाभाष्य' के एक वाक्य के अनुसार महाभाष्यकार का निवासस्थान साकेत एवं पाटलिपुत्र के मार्ग में था। 'योऽयमध्वागत आपाटलिपुत्रात्तस्य यत्परं साकेतात् ।' इनके निवासस्थान के विषय में अभी तक कोई निश्चित विचार नहीं आ सका है।
आधारग्रन्थ-१ हिस्ट्री ऑफ ऐन्शियन्ट संस्कृत लिटरेचर-मैक्समूलर। २ इडि. यन लिटरेचर-बेबर । ३ इण्डियन हिस्टारिकल क्वाटर्ली-जिल्द ८, पृ० ३९ प्रो० बी० के० ठाकुर । ४ इण्डियन ऐष्टिक्वेरी, जिल्द २, १८७२, पृ० २९९, भण्डारकर। ५कलेक्टेड वर्स ऑफ डॉ० भण्डारकर भाग १ । ६ पाणिनिज ग्रामेटिक-बोलिक । ७ पाणिनीगोल्डस्टुकर । ८ जर्नल ऑफ रायल एशियाटिक सोपाइटी बंगाल, भाग १६ । ९ इण्डियन एष्टिक्वेरी भाग २, पृ० ५७ वेबर-ऑन द डेट ऑफ पतंजलि । १० हिस्ट्री ऑफ संस्कृत लिटरेचर-कोथ। ११ संस्कृत ड्रामा-कीथ । १२ पाणिनीकालीन भारतवर्ष