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भक्ति का वर्णन है। यह रचना मद्रास गोवर्नमेण्ट ओरियण्टल सीरीज एल०१२, तंजोर सरस्वती महल सीरीज नं० ५५ मद्रास से प्रकाशित हो चुकी है। 'शिवविलासचम्पू' में कवि ने अपना परिचय इस प्रकार दिया है
तातो यस्य शिवोगुरुश्च नितरां दासः शिवस्यैव यो माता यस्य तु गोमती स हि विरूपाक्षाभिधेयं कविः । श्रीमत्कौशिकगोत्रजः शिवविलासाख्यं शिव-प्रीतये
चम्पूकाव्यमिदं करोति दिशतात्स्फूत्ति परां शारदा ॥ १११ 'विरूपाक्षचम्पू' में चार उल्लास हैं और शिव-भक्ति की महिमा प्रदर्शित की गयी है।
आधारग्रन्थ-चम्पूकाव्य का आलोचनात्मक एवं ऐतिहासिक अध्ययन-डॉ. छविनाथ त्रिपाठी।
छन्द-यह वेदांगों में पांचवा अंग है। [दे. वेदांग ] वेद-मन्त्रों के उच्चारण के लिए छन्द-ज्ञान की आवश्यकता होती है। इसके अभाव में न तो मन्त्रों का सम्यक् उच्चारण संभव है और न पाठ ही। प्रत्येक सूक्तं के लिए देवता, ऋषि एवं छन्द का ज्ञान आवश्यक है । कात्यायन का कहना है कि बिना छन्द, ऋषि एवं देवता के ज्ञान के मन्त्रों का अध्ययन, अध्यापन, यजन और याजन करना निष्फल है। इससे किसी कार्य में सफलता नहीं मिल सकती
यो ह वा अविदिताःयच्छन्दो-दैवत-बाह्मणेन मन्त्रेण याजयति वा अध्यापयति वा स्थाणुं वच्छति गर्ने वा पात्यते प्रमीयते वा पायीयान् भवति । सर्वानुक्रमणी ११. __इस विषय पर पिंगलाचार्य का 'छन्दःसूत्र' अत्यन्त प्रामाणिक ग्रन्थ है। यह ग्रन्य आठ अध्यायों में है जिसके चौथे अध्याय के सातवें सूत्र तक वैदिक छन्दों के लक्षण हैं। इस पर हलायुधभट्ट ने 'मृतसंजीवनी' नामक टीका लिखी है।
'पाणिनीयशिक्षा' में छन्द को वेदों का पाद कहा गया है-छन्दःपादो तु. वेदस्य । यास्क ने इसकी व्युत्पत्ति देते हुए बताया है कि ये 'ढकने वाले साधन हैं'-छन्दांसि छादनात् (निरुक्त ७१९) वैदिक छन्दों में अक्षर-गणना नियत होती है अर्थात् उसमें लघु-गुरु का कोई क्रम नहीं होता। वैदिक छन्द एक, दो या तीन पाद वाले होते हैं। प्रधान वैदिक छन्द हैं-गायत्री (८ अक्षर ), उष्णिक ( ८ अक्षर ) पुरउष्णिक ( १२ अक्षर), ककप (८ अक्षर), अनुष्टुप् (८ अक्षर ), बृहती ( ८ अक्षर ), सतोबृहती (१२ अक्षर ), पङ्क्ति ( ८ अक्षर ), प्रस्तार पंक्ति ( १२ अक्षर ), त्रिष्टुभ् (११ अक्षर)
और जगती (१२ अक्षर ) कात्यायन की 'सर्वानुक्रमणी' में 'ऋग्वेद' के मन्त्र निर्दिष्ट हैं-गायत्री-२४६७, उष्णिक ३४१, अनुष्टुप् ८८५, बृहती १८१, पंक्ति ३१२, त्रिष्टुभ् ४२५३, जगती १३५८ ॥
आधारग्रन्थ- क ) वैदिक छन्दोमीमांसा,पं० युधिष्ठिर मीमांसक (ख) वैदिक साहित्य और संस्कृति-आ० बलदेव उपाध्याय (ग) दि वैदिक मीटर-आरनाल्ड, " बाक्सफोंडं।