________________
यतिराजविजय चम्पू]
( ४३९ )
[युधिष्ठिर मीमांसक
वचन, ८४३ अनुवाक , ३०९१ मन्त्र तथा मन्त्रब्राह्मण ( दोनों की सम्मिलित संख्या) १८ सहस्र हैं तथा दर्शपोर्णमास, अमिष्टोम, अमिहोत्र, आधान, काम्येष्टि, निरुतपशुबन्ध, वाजपेय, राजसूय, अग्निचयन, चातुर्मास्य, सौत्रामणि तथा अश्वमेध का वर्णन किया गया है।
कपिष्ठल कठसंहिता-इस संहिता की एकमात्र प्रति वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय के सरस्वती भवन पुस्तकालय में है, जो अधूरी है। इसका विभाजन अष्टक एवं अध्यायों में हुआ है।
आधारग्रन्थ-१-यजुर्वेद हिन्दी अनुवाद-श्रीराम शर्मा २-प्राचीन भारतीय साहित्य भाग १, खण्ड १-विन्टरनित्स (हिन्दी अनुवाद)।३-संस्कृत साहित्य का इतिहास-मैकडॉनल (हिन्दी अनुवाद )। ४-वैदिक साहित्य-पं० रामगोविन्द त्रिवेदी। ५-वैदिक साहित्य और संस्कृति-पं. बलदेव उपाध्याय । ६-वैदिक बाङमय का इतिहास-भाग १-५० भगवदत्त । ७ .-इण्डियन लिटरेचर-वेबर । ८-ऐंशियन्ट संस्कृत लिटरेचर-मैक्समूलर । ९-हम भारत से क्या सीखें-मैक्समूलर ( हिन्दी अनुवाद )। १०-वैदिक साहित्य-प्रकाशन, शाखा भारत सरकार । ११भारतीय प्रज्ञा–मोनियर विलियम ( हिन्दी अनुवाद ) ।
यतिराजविजय चम्पू-इस चम्पू काव्य के रचयिता का नाम अहोबल सूरि है । उनके पिता का नाम वेंकटाचार्य एवं माता का नाम लक्ष्माम्बा था। उनके गुरु का नाम श्री राजगोपाल मुनि था। लेखक का समय १४ वीं शताब्दी का उत्तराध है । 'यतिराजविजयचम्पू' १६ उल्लासों में विभक्त है, पर अन्तिम उल्लास अपूर्ण है। इसमें
रामानुजाचार्य के जीवन की घटनाएं वणित हैं तथा स्थान-स्थान पर यमक का प्रयोग किया गया है । यह ग्रन्थ अभी तक अप्रकाशित है। कवि ने अन्य चम्पू 'विरूपाक्षवसन्तोत्सव' को भी रचना की है जो मद्रास से प्रकाशित हो चुका है। इसमें चार काण्ड हैं तथा नौ दिनों तक होने वाले विरुपाक्ष महादेव के वसन्तोत्सव का वर्णन है । प्रारम्भिक तीन काण्डों में रथयात्रा एवं चतुर्थ काण्ड में आखेट या मृगया महोत्सव वर्णित है।
आधारग्रन्थ-चम्पूकाव्य का आलोचनात्मक एवं ऐतिहासिक अध्ययन-डॉ० छविनाथ त्रिपाठी।
यधिष्ठिर मीमांसक-आधुनिक युग के प्रसिद्ध वैयाकरण । इनका जन्म २२ सितम्बर १९०९ ई० को राजस्थान के अन्तर्गत जिला अजमेर के विरकच्यावास नामक ग्राम में हुआ था। इन्होंने व्याकरण, निरुक्त, न्याय एवं मीमांसा का विधिवत् अध्ययन एवं अध्यापन किया है और संस्कृत के अतिरिक्त हिन्दी में भी अनेक ग्रन्थ लिखे हैं। संस्कृत में अभी तक १४ शोधपूर्ण निबन्ध विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। कुछ के नाम हैं-मन्त्रब्राह्मणयोर्वेदनामधेयम्, वैदिकछन्दःसंकलनम्, ऋग्वेदस्य ऋक्संख्या, काशकृत्स्नीयो धातुपाठः, भारतीय भाषाविज्ञानम्, वेदसंज्ञा-मीमांसा । इन्होंने संस्कृत के १० ग्रन्थों का सम्पादन किया है-निरुक्तसमुच्चयः, भागवृत्तिसंकलनम् , दशपायुणादिवृत्तिः, शिक्षासूत्राणि, क्षीर-तरङ्गिणी, देवं पुरुषकारवातिकोपेतम्, कामकला