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वामनभट्ट बाण ]
( ४९८ )
[ वायुपुराण
मोचन आख्यान, दक्षयज्ञ-विध्वंस, मदन-दहन, प्रह्लादनारायणयुद्ध, देवासुर संग्राम, सुकेशी तथा सूर्य की कथा, काम्यव्रत का वर्णन, दुर्गाचरित्र, तपतीचरित्र, कुरुक्षेत्रवर्णन, अनुपमसत्या माहात्म्य, पार्वती की कथा, जन्म एवं विवाह, कौशिकी उपाख्यान, कुमारचरित, अन्धकवध, साध्योपाख्यान, जावालिचरित, अन्ध एवं शङ्कर का युद्ध, राजा बलि की कथा, लक्ष्मी चरित्र, त्रिविक्रम-चरित्र, प्रह्लाद की तीर्थयात्रा, धुन्धुचरितप्रेतोपाख्यान, नक्षत्रपुरुष की कथा, श्रीदामाचरित । उत्तर भाग — माहेश्वरी संहिताश्रीकृष्ण एवं उनके भक्तों का चरित्र, भागवती संहिता -जगदम्बा के अवतार की कथासौरी संहिता - सूर्य की पापनाशक महिमा का वर्णन, गाणेश्वरी संहिता - शिव एवं गणेश का चरित्र
आधारग्रन्थ – १ – वामनपुराण ए स्टडी-डॉ० वासुदेव शरण अग्रवाल । २– पुराणम् - वर्ष ४, पृ० १८९ - १९२ वही - भाग ५, १९६३ । ३ – प्राचीन भारतीय साहित्य भाग १, खण्ड २ – विन्टरनित्स । ४ – पुराण विमर्श - पं० बलदेव उपाध्याय । ५ - पुराणतस्वमीमांसा — श्रीकृष्णमणि त्रिपाठी । पुराणांक - गीता प्रेस, गोरखपुर ।
६ – वामन
वामनभट्ट बाण - ये राज वेमभूपाल के राजकवि थे। इनका समय विक्रम का पंचदश शतक है । इन्होंने विभिन्न साहित्यिक विधाओं पर पूर्ण सफलता के साथ लेखनी चलायी है । इनकी रचनाओं में काव्य, नाटक, गद्यग्रन्थ एवं कोश ग्रन्थ प्राप्त होते हैं । १ – नलाभ्युदय – इनमें नल-दमयन्ती की कथा वर्णित है। यह ग्रन्थ अपूर्ण रूप में त्रिवेन्द्रम संस्कृत सीरीज से प्रकाशित हुआ है। इसमें नवम सगं श्लोक संख्या ३ तक केही अंश प्राप्त होते हैं । २ - रघुनाथचरित - यह काव्ये तीस सर्गों में है, किन्तु अभी तक अप्रकाशित है। इसके दो हस्तलेख तंजोर हस्तलिखित पुस्तक संग्रह भाग ६, सं० ३७२१ एवं अड्यार पुस्तकालय २, २७ में प्राप्त होते हैं । ३ हंसदूत - मेघदूत के अनुकरण पर रचित सन्देश काव्य जिसमें ६१ + ६० = १२१श्लोक हैं । सम्पूर्ण ग्रन्थ मन्दाक्रान्ता वृत्त में लिखा गया है । ४ - बाणासुर विजय - यह काव्य अप्रकाशित है और इसका विवरण ओरियन्टल लाइब्रेरी मद्रास की त्रिवर्षीय हस्तलिखित पुस्तक सूची ६, सं० ७१८१ में प्राप्त होता है । ५ - पार्वतीपरिणय - पांच अंकों के इस नाटक में कुमारसम्भव के आधार पर शिव पार्वती विवाह का वर्णन है । ६– कनकलेखाइस नाटक की रचना चार अंकों में हुई है और व्यासवमंन् तथा कनकलेखा के विवाह का वर्णन है । ग्रंथ अप्रकाशित है । ७- शृङ्गारभूषण भाण - यह एक बंडू में समाप्त होने वाला भाग है। इसका नायक विलासशेखर नाम का धूतं व्यक्ति है । ८ - वेमभूपाल चरित - इसमें वेमभूपाल का जीवनचरित गद्य में वर्णित है। इसका प्रकाशन श्रीरंगम् से हो चुका है । ९ – शब्दचन्द्रिका - यह कोश ग्रंथ है और अभी तक अप्रकाशित है । १० – शब्दरत्नाकर - यह कोश ग्रन्थ भी अभी तक अप्रकाशित है । आधारग्रन्थ- संस्कृत के सन्देश काव्य - डॉ० रामकुमार आचार्य ।
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वायुपुराण - क्रमानुसार चोथा पुराण । इसे कतिपय विद्वान् 'शिवपुराण' भी कहते हैं । अर्थात् 'शिवपुराण' और 'वायुपुराण' दो पृथक् पुराण न होकर एक ही पुराण