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यूरोपीय विद्वान् और संस्कृत ]
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[यूरोपीय विद्वान् और संस्कृत
था। वारेन हेस्टिग्स ने संस्कृत पण्डितों की सहायता से विवाददर्पणसेतु' नामक धर्मशास्त्रविषयक प्रन्थ का संकलन करवाया था जो 'ए कोड ऑफ गेष्टोला' के नाम से अंग्रेजी में १७८५ ई० में प्रकाशित हुआ. चासं विल्किस कृत गीता का अंगरेजी अनुवाद १७८५ ई० में इङ्गलैण्ड से प्रकाशित हुआ था। इसी ने 'महाभारत' में वर्णित शकुन्तलोपाख्यान एवं 'हितोपदेश' का भी अंगरेजी में अनुवाद किया था। ___ सर्वप्रथम सर विलयम जोन्स ने ११ वर्षों तक भारतवर्ष में रह कर संस्कृत भाषा
और साहित्य का विधिवत् ज्ञान अजित किया। इन्हीं के प्रयास से १७८४ ई० में 'एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बङ्गाल' की स्थापना हुई जिसमें संस्कृत की हस्तलिखित पोथियों का उद्धार हुआ तथा अनुसंधान सम्बन्धी कार्य प्रारम्भ हुए। विलियम जोन्स ने १७८९ ई० में 'अभिज्ञानशाकुन्तल' का अंगरेजी अनुवाद प्रकाशित किया, जिससे यूरोपीय विद्वान् संस्कृत के अध्ययन की ओर आकृष्ट हुए । विलियम जोन्स ने 'मनुस्मृति' एवं 'ऋतुसंहार' का भी अंगरेजी में अनुवाद किया था। इनके अंगरेजी अनुवाद के आधार पर जर्मन विद्वान जार्ज फोर्टर ने 'शकुन्तला' का जर्मन भाषा में अनुवाद ( १७९१ ई.) किया जिसकी प्रशंसा महाकवि गेटे ने मुक्तकण्ठ से की। इसी समय थामस कोलबुक ने 'अमरकोष' 'हितोपदेश' 'अष्टाध्यायी' तथा 'किरातार्जुनीय' का अनुवाद किया। इन्होंने 'ए डाइजेस्ट ऑफ हिन्दू ला ऑफ कांट्रेक्ट्स' नामक ग्रन्थ की भी रचना की। प्रसिद्ध जर्मन विद्वान् श्लीगल ने ( आगस्टक ) 'भगवद्वीता' एवं 'रामायण' (प्रथम भाग) का अनुवाद १८२९ ई० में किया। श्लीगल के समकालीन फेंच विद्वान् बोप हुए। इनका जन्म १७९१ ई० में हुआ था। इन्होंने १८१६ ई. में संस्कृत का तुलनात्मक भाषा-विज्ञान पर निबन्ध लिखा तथा 'नलदमयन्ती' आख्यान का लैटिन भाषा में अनुवाद किया। इन्होंने संस्कृत का एक व्याकरण एवं कोष भी लिखा है। जर्मन विद्वान् वान हबोल्ट तथा उसके भाई अलेक्जेंडर हबोल्ट ने भारतीय दर्शनों का अध्ययन किया था। शेलिंग, शिलर आदि ने जर्मन भाषा में उपनिषदों का अनुवाद किया है। फर्गुसन जेम्स नामक विद्वान् ने दक्षिण भारतीय मन्दिरों के खंडहरों एवं देवालयों का निरीक्षण कर पुरातत्व-सम्बन्धी सामग्रियों का विवरण प्रस्तुत किया है और १८४८ ई० में 'हिन्दू प्रिंसिपल ऑफ व्यूटी इन आर्ट' नामक पुस्तक की रचना की है। पंडित मैक्समूलर का कार्य तो अप्रतिम महत्त्व का है [दे० मैक्समूलर ] विल्सन नामक विद्वान् ने 'हिन्दू थिएटर' नामक पुस्तक लिखी तथा 'विष्णुपुराण' एवं 'ऋग्वेद' का ६ खण्डों में अनुवाद किया। वेदार्थ अनुशीलन के क्षेत्र में जर्मन विद्वान् रॉप रचित 'संस्कृत-जर्मन-विश्वकोश' का अत्यधिक महत्व है। १८७० ई० के आसपास एच० ग्रासमैन एवं विल्सन ने सायणभाष्य के आधार पर 'ऋग्वेद' का अंगरेजी में अनुवाद किया था। डॉ. पिशेल कृत 'वैदिक स्टडीज' नामक ग्रन्थ अत्यन्त महत्व का है। ये बलिन विश्वविद्यालय में संस्कृत के - अध्यापक थे, बेबर एवं मैक्डोनल तथा कीथ की संस्कृत सेवाएं प्रसिद्ध हैं। ( इनका विवरण पृथक् है। इनके नाम के समक्ष देखें ) । संस्कृत साहित्य के इतिहास-लेखकों में जर्मन विद्वान् विष्टरनित्स का नाम महत्वपूर्ण है। इन्होंने चार खण्डों में संस्कृत साहित्य का बृहत् इतिहास लिखा है।