Book Title: Sanskrit Sahitya Kosh
Author(s): Rajvansh Sahay
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 685
________________ हनुम नाटक ] ( ६७४ ) [ हनुमन्नाटक से आये हुए ब्राह्मण का सन्देश सुनने के लिए वे आसन से उठ जाते हैं। भास ने इस नाटक में उनके चरित्र को सुन्दर, उदात्त एवं मनोवैज्ञानिक बना दिया है । वासवदत्ता - वासवदत्ता त्याग की प्रतिमूर्ति एवं रूपयौवनवती पतिप्राणारमणी है । वह स्वामी के हित के लिए अपना सर्वस्वत्याग देने में भी नहीं हिचकती । वह उज्जयिनी - नरेश महासेन प्रद्योत की पुत्री है। जब उदयन उसके पिता के यहाँ बन्दी थे तभी उसका उनसे परिचय हुआ था, और अन्ततः यह परिचय प्रगाढ़ प्रेम के रूप में परिणत हो गया । वासवदत्ता में स्वाभिमान का भाव भरा हुआ है । वह अत्यन्त उदार है। तथा पद्मावती के प्रति ईर्ष्या का भाव प्रकट नहीं करती। वह पद्मावती के विवाह के समय स्वयं माला ग्रंथती है । वासवदत्ता काफी चतुर है तथा किसी भी स्थिति में अपनी मृत्यु के रहस्य को खोलती नहीं । वह धैर्य के साथ सारी परिस्थितियों का -सामना करती है और अपने पति के लिए योगन्धरायण के साथ दर-दर भटकती रहती है । वह गुणग्राहिणी भी है तथा सदैव पद्मावती के रूप की प्रशंसा किया करती है । उदयन का प्रेम ही उसके जीवन का संबल है और उनके मुख से अपनी प्रशंसा सुनकर वह उछसित हो जाती है। वह भोजन बनाने के कार्य में काफी कुशल है और मिष्टान्न बनाकर विदूषक को प्रसन्न करती है। आदर्श रानी, पत्नी एवं सौत के रूप में उसका चरित्र उज्ज्वल है । उसे पतिव्रता नारी के धर्म का पूर्ण परिज्ञान है, अतः वह परपुरुष के दर्शन से दूर रहती है । पद्मावती - पद्मावती मगधनरेश की भगिनी है और वासवदत्ता की सोत होते हुए भी उसके प्रति अत्यधिक उदार है। वह अत्यन्त रूपवती है । उसके सौन्दर्य की प्रशंसा - वासवदत्ता किया करती है। विदूषक के अनुसार वह 'सर्वसद्गुणों का आकर' है । राजा भी उसके रूप की प्रशंसा करता है । वह राजा के प्रति प्रेम, अपनी सोत - वासवदत्ता के प्रति आदर तथा अन्य जनों के प्रति सहानुभूति रखती है। वह - बासवदत्ता की भांति आदर्श सोत है तथा उसके माता-पिता को अपने माता-पिता की भति आदर एवं सम्मान प्रदान करती है । वह बुद्धिमती नारी है । वासवदत्ता का -रहस्य प्रकट होने पर वह अपने अविनय के लिए उससे क्षमा मांगती है । यौगन्धरायण – यौगन्धरायण आदर्श मन्त्री के रूप में चित्रित है। इस नाटक की सारी घटना उसी की कार्यदक्षता एवं बुद्धिकौशल पर चलती है । उसमें स्वामिभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई है और वह राजा के हित साधन के लिए अपना सर्वस्व त्यागने को तैयार रहता है । ज्योतिषियों के कथन को ही सत्य मान कर कि राजा पद्मावती का पति होगा यौगन्धरायण सारा खेल रच देता है। उसके बुद्धिकौशल एवं स्वामिभक्ति के कारण राजा को उसका खोया हुआ राज्य प्राप्त होता है । सारे भेद के खुल बाने पर वह राजा के पैरों पर गिर पड़ता है । आधारग्रन्थ - १. महाकविभास एक अध्ययन - पं० बलदेव उपाध्याय । २. संस्कृत नाटक - ( हिन्दी अनुवाद ) - कोथ । हनुमन्नाटक — इस नाटक के रचयिता दामोदर मिश्र हैं। 'हनुमन्नाटक' को महानाटक भी कहा जाता है। इसके कतिपय उद्धरण आनन्दवर्द्धन रचित 'ध्वन्यालोक'

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