________________
महावीर - चारत j
सूचना कथोपकथनों के माध्यम से दी है
किया है। तथा उनको
( ३७३ )
[ महावीर चरित
तथा कथा को नाटकीयता प्रदान करने के लिए प्रारम्भ से ही रावण को राम का विरोध करते नष्ट करने के लिए वह सदा षड्यन्त्र करता
मूल कथा में परिवर्तन भी हुए प्रदर्शित किया गया है, रहता है ।
प्रथक अंक - विश्वामित्र राजा दशरथ के पास जाकर यज्ञ-रक्षणार्थं राम और लक्ष्मण की याचना करते हैं। राजा अनिच्छापूर्वक उन्हें मुनि को सौंप देते हैं । मुनि यज्ञ करते हैं और उसको देखने के लिए जनकपुर के लोग पधारते हैं । विश्वामित्र के आश्रम में ही राम और लक्ष्मण विदेहराज जनक की कन्याओं-सीता और उर्मिला-को देखकर उन पर अनुरक्त हो जाते हैं। इसी बीच रावण का दूत आकर सीता को वरण करने के लिए राजा जनक को सन्देश देता है । दूत अपनी बातें पूरी भी नहीं करता; कि आश्रम में भारी कोलाहल मच जाता है, और ताड़का प्रवेश करती है । विश्वामित्र के आदेश से राम उसका वध कर डालते हैं । रामचन्द्र को विश्वामित्र द्वारा दिव्यास्त्रों की प्राप्ति होती है, और उनके समक्ष यह शर्त रखी जाती है कि; यदि रामचन्द्र शिवधनु को झुका दें तो उनका विवाह सीता के साथ कर दिया जायगा । राम शिव धनुष को भंग कर देते हैं, और रावण का दूत जाता है ।
क्रुद्ध होकर चला
द्वितीय अंक में रावण का मन्त्री माल्यवान् अपनी अनुभूत पराजय का बदला चुकाने के लिये अपनी बहिन शूर्पणखा के साथ षड्यन्त्र करता है । वह परशुराम के पास पत्र लिख कर शिव धनुष को भङ्ग करने वाले राम के साथ बदला चुकाने के लिए उभाड़ता है और वे उसके बहकावे में आ जाते हैं, और मिथिला जाकर राम को अपमानित कर युद्ध के लिए ललकारते हैं। तृतीय अंक में राम एवं परशुराम का वाक्युद्ध चलता है, तथा वशिष्ट, विश्वामित्र, जनक, शतानन्द एवं दशरथ द्वारा उनके युद्ध को रोकने का प्रयास किया जाता है; किन्तु सारा प्रयत्न निष्फल हो जाता है । चतुथं अंक में ज्ञात होता है कि परशुराम हार कर राम की वंदना करते हुए चले जाते हैं । इसी बीच माल्यवान् राम को पराजित करने के लिए नये षड्यन्त्र की योजना बनाता है । जब राम मिथिला में थे तभी शूर्पणखा ने मन्थरा का वेश बनाकर और कैकेयी का एक पत्र लेकर राम को दिया; जिसमें लिखा हुआ था कि राम दशरथ द्वारा दिये गए दो वरदानों को - भरत का राज्याभिषेक एवं राम का चौदह वर्ष के पूर्ण करायें। इधर जब भरत और उनके मामा युधाजित् दशरथ से राम का राज्याभिषेक करने की बात कहते हैं, उसी समय राम आकर कैकेयी की दो मांगों के सम्बन्ध में सूचना देकर सीता तथा लक्ष्मण के साथ वन प्रयाण करते हैं, तथा भरत राज्य की देखभाल करने के लिए छोड़ दिये जाते हैं। पंचम अंक में जटायु तथा सम्पाति के वार्तालाप में राम द्वारा राक्षसों के संहार एवं उनके अन्य कृत्यों की सूचना प्राप्त होती है । संपाति जटायु को राम की देखभाल करने को कहता है, और जटायु अपने कर्तव्य का पालन करता हुआ रावण द्वारा चुराई गयी सीता की रक्षा के लिए अपना प्राण भी दे देता है । इधर शोकग्रस्त राम-लक्ष्मण वनों में घूमते हुए दिखाई पड़ते हैं, और एक तपस्वी
लिए वनवास -