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वेद के भाष्यकार ]
( ५२९ )
[ वेद के भाष्यकार
पूर्ववर्ती थे ।
मत दिया है
निघण्टु के
गोचरम् || ३ उद्गीथ - इनका उल्लेख सायण एवं आत्मानन्द ने अपने भाष्यों में किया है । ४ माधव भट्ट — ऋग्वेद के माधव नामक चार भाष्यकारों का उल्लेख प्राप्त होता है । इनमें एक का सम्बन्ध सामवेद से तथा शेष का सम्बन्ध ऋग्वेद से है । एक माधव तो सायणाचार्य हो हैं । दूसरे माधव हैं वेंकटमाधव । एक अन्य माघव की प्रथम अष्टक की टीका प्रकाशित हुई है ( मद्रास से ) । यह टीका अल्पाक्षर है किन्तु मन्त्रों के अर्थ-ज्ञान के लिए अत्यन्त उपयोगी है । ५. वेंकटमाधव - इन्होंने सम्पूर्ण ऋक् संहिता पर भाष्य लिखा है । भाष्य के अन्तिम अध्याय में इन्होंने जो अपना परिचय दिया है उसके अनुसार इनके पितामह का नाम वेंकटमाधव पिता का नाम वेंकटाचार्य, मातामह का नाम भवगोल एवं माता का नाम सुन्दरी था । इनके दो पुत्र थे वेंकट एवं गोविन्द । ये चोलदेश ( आन्ध्रप्रान्त ) के निवासी थे। ये सायण के सायण ने ऋ० १० ८६ १ के भाष्य में माधवभट्ट का भाष्यकार देवराज यज्वा ने अपने भाष्य के उपोद्घात में वेंकटाचायंतनय माधव का उल्लेख किया है— श्रीवेंकटाचार्यतनयस्य माधवस्य भाष्यकृतो नामानुक्रमण्याः पर्यालोचनात् क्रियते । इससे ये देवराज यज्वा ( मं० १३७० ) के पूर्ववर्ती सिद्ध होते हैं । इनका समय १३०० विक्रम से पूर्व निश्चित होता है । इनका भाष्य अत्यन्त संक्षिप्त है जिसमें केवल मन्त्रों के पदों की ही व्याख्या है— 'वर्जयन् शब्दविस्तारं शब्दः कतिपयैरिति । इसका प्रकाशन डॉ० लक्ष्मणसरूप के संपादन में मोतीलाल बनारसीदास से हो चुका है । ६. धानुष्कयज्वा - इनका समय १३०० वि० सं० से पहले का है । इन्होंने तीनों वेदों पर भाष्य लिखा है । इनका उल्लेख वेदाचार्य की सुदर्शन 'मीमांसा' में है । ७. आनन्दतीर्थं - ये प्रसिद्ध द्वैतवादी आचार्य मध्व हैं । इन्होंने ऋग्वेद के कतिपय मन्त्रों की व्याख्या की है जिनमें ४० सुक्त हैं तथा यह भाष्य पद्यात्मक है । ८. आत्मानन्द - इन्होंने ऋग्वेद के अन्तर्गत 'अस्य वामीय' सूक्त पर भाष्य लिखा है । इसमें स्कन्द भास्कर आदि का नामोल्लेख है पर सायण का नहीं । ये सायण के पूर्ववर्ती ज्ञात होते हैं । इन्होंने स्वयं अपने भाष्य को अध्यात्मपरक कहा है - अधियज्ञविषयं स्कन्दादिभाष्यम्, निरुक्तमधिदैवतविषयम्; इदन्तु भाष्यमध्यात्मविषयमिति । न च भिन्नविषयाणां विरोधः । अस्य भाष्यस्य मूलं विष्णुधर्मोत्तरम् । ९. सायण - इनके परिचय के लिए दे० सायण ।
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सामभाष्य - १. माधव - ये साम-संहिता के प्रथम भाष्यकार हैं । इन्होंने 'विवरण' नामक भाष्य लिखा है । इनका भाष्य अभी तक अप्रकाशित है । इनका समय विक्रम की सातवीं शताब्दी है । इनका उल्लेख महाकवि बाणभट्ट ने किया है । 'रजोजुषे जन्मनि सत्त्ववृत्तये स्थिती प्रजानां प्रलये तमःस्पृशे । अजाय सर्गस्थितिनाशहेतवे त्रयीमयाय त्रिगुणात्मने नमः । २. भरत स्वामी - भरतस्वामीकृत भाष्य अभी तक प्रकाशित नहीं हो सका है। इन्होंने अपना परिचय दिया है उससे पता चलता है कि इनके पिता का नाम नारायण एवं माता का नाम यज्ञदा था । इत्थं श्रीभरत स्वामी काश्यपो यज्ञदासुतः । नारायणायंतनयो व्याख्यत् साम्नामृचोऽखिलाः || ये दक्षिण
३४ सं० सा०