________________
पद्मपुराण ]
( २७० )
[ पद्मपुराण
श्रीकृष्ण के साथ चन्द्रवंश का वर्णन है । इसमें पितरों एवं उनके श्राद्धों से सम्बद्ध विषयों का भी विवरण प्रस्तुत किया गया है तथा देवासुरसंग्राम का भी वर्णन है । इसी खुण्ड में पुष्कर तालाब का वर्णन है जो ब्रह्मा के कारण पवित्र माना जाता है और उसकी तीर्थ के रूप में वन्दना भी की गयी है ।
स्व. तीर्थपवं - इस पर्व में अनेक तीर्थों, किया गया है। इसके उपसंहार में कहा गया है का नाम स्मरण ही सर्वश्रेष्ठ तीथं है तथा इनके सारे संसार को तीर्थमय बना देते हैं ।
पर्वत, द्वीप एवं सप्तसागरों का वर्णन कि समस्त तीर्थों में श्रीकृष्ण भगवान् नाम का उच्चारण करने वाले व्यक्ति
तीर्थानां तु परं तीर्थं कृष्णनाम महर्षयः । तीर्थीकुर्वन्ति जगतीं गृहीतं कृष्णनाम यैः ॥
ग. तृतीयपर्व - इस पर्व में दक्षिणा देने वाले राजाओं का वर्णन किया गया है तथा चतुर्थपदं में राजाओं का वंशानुकीर्तन है ।
अन्तिम पर्व (पञ्चमपर्व) में मोक्ष एवं उसके साधन वर्णित हैं। इसी खण्ड में निम्नां - कित कथाएँ विस्तारपूर्वक वर्णित हैं- समुद्र-मंथन, पृथु की उत्पत्ति, पुष्कर तीर्थं के निवासियों का धर्म-वर्णन, वृत्रासुर संग्राम, वामनावतार, मारकण्डेय एवं कार्तिकेय की उत्पत्ति, रामचरित तथा तारकासुरवध । असुरसंहारक विष्णु की कथा तथा स्कन्द के जन्म एवं विवाह के पश्चात इस खण्ड की समाप्ति हो जाती है ।
२. भूमिखण्ड - इस खण्ड का प्रारम्भ सोमशर्मा की कथा से होता है जो अन्ततः - विष्णुभक्त प्रह्लाद के रूप में उत्पन्न हुआ । इसमें भूमि का वर्णन तथा अनेकानेक तीर्थो की पवित्रता की सिद्धि के लिए अनेक आख्यान दिये गए हैं। इसमें सकुला की ऐसी कथा का उल्लेख है जिसमें दिखाया गया है कि किस प्रकार पत्नी भी तीथं बन जा सकती है । इसी खण्ड में राजा पृथु, बेन, ययाति एवं मातलि के आध्यात्म-सम्बन्धी वर्तालाप तथा विष्णु-भक्ति की महनीयता का वर्णन है। इसमें च्यवन ऋषि का आख्यान तथा विष्णु एवं शिव की एकताविषयक तथ्यों का विवरण है
३. स्वर्गखण्डड- इस खण्ड में अनेक देवलोकों, देवता, बैकुण्ठ, भूतों, पिशाचों, विद्याधरों, अप्सरा एवं यक्षों के लोक का विवरण प्रस्तुत किया गया है। इसमें अनेक कथाएँ एवं उपाख्यान हैं जिनमें शकुन्तलोपाख्यन भी है जो 'महाभारत' की कथा से भिन्न एवं महाकवि कालिदास के 'अभिज्ञानशाकुन्तल' के निकट है । अप्सराओं एवं उनके लोकों के वर्णन में राजा पुरूरवा और उर्वशी का उपाख्यान भी वर्णित है । इसमें कर्मकाण्ड, विष्णुपूजा पद्धति, वर्णाश्रमधर्म एवं अनेक आचारों का भी वर्णन है ।
४. पातालखण्ड3 - इस खण्ड में नागलोक का वर्णन है तथा प्रसंगवश रावण का उल्लेख होने के कारण इसमें सम्पूर्ण रामायण की कथा कह दी गयी है । रामायण की यह कथा महाकवि कालिदास के 'रघुवंश' से अत्यधिक साम्य रखती है किन्तु रामायण के साथ इसकी आंशिक समानता ही दिखाई पड़ती हैं। इसमें शृंगी ऋषि की कथा भी
है जो 'महाभारत' से भिन्न ढंग से वर्णित है । 'पद्मपुराण' के इस खण्ड में भवभूतिकृत