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नलचम्पू]
( २३१ )
[नलचम्पू
यत्न करना तथा उनमें से एक को पकड़ लेना। हंस द्वारा राजा की स्तुति तथा हंस के वचन पर नल का आश्चर्यित होना। हंस को पकड़ा गया देख कर कुपित होकर हंसी का श्लिष्ट कथन तथा नल का उसका उत्तर देना, हंसी तथा हंस के प्रणय-कलह का वर्णन, हंस द्वारा राजा एवं राजहंस की समानता का वर्णन तथा अनुकूल कलत्र सुख का वर्णन । आकाशवाणी द्वारा यह सूचना प्राप्त होना कि दमयन्ती को आकृष्ट करने के लिए यह हंस दूतत्व करेगा। राजा का दमयन्ती के विषय में हंस से प्रश्न पूछना तथा हंस का दक्षिण देश, कुण्डिनपुर, राजा भीम एवं उनकी पत्नी प्रियङ्गमन्जरी का वर्णन करना ।. अपने बच्चे को लेकर जाती हुई एक बन्दरी को देखकर सन्तान के उत्कण्ठित प्रियंगुमंजरी का महेश्वर की आराधना में संलग्न होना। चन्द्रिका का वर्णन ।
तृतीय उच्छ्वास-प्रियंगुमंजरी का स्वप्न में भगवान् शंकर का दर्शन करना और दमनक मुनि के आनमन की सूचना, प्रभात-वर्णन एवं प्रियंगुमंजरी द्वारा सूर्य की स्तुति । प्रातःकाल में प्रियंगुमंजरी का प्रसन्न होना तथा राजा भीम का भी स्वप्न में भगवान् शंकर का दर्शन करना एवं पुरोहित द्वारा स्वप्न का फल कहा जाना। दमनक मुनि का आगमन तथा मुनि को कन्या-लाभ का वरदान देना। कन्या-लाभ के वरदान से असन्तुष्ट प्रियंगुमंजरी की श्लेषमाध्यम से कटूक्तियां तथा दमनक मुनि का प्रतिवचन । रानी द्वारा क्षमायाचना एवं मुनि का प्रस्थान, मध्याह्न वर्णन, राजा का स्नान एवं आहारादि का वर्णन । प्रियंगुमंजरी का गर्भधारण, दमयन्ती का जन्म, नामकरण, उसके शैशव, शिक्षा एवं तारुण्य का वर्णन ।
चतुर्थ उच्छ्वास-हंस द्वारा दमयन्ती के सौन्दर्य का वर्णन सुन कर राजा नल की उत्कण्ठा, हंस-विहार, हंस का कुण्डिनपुर जाना तथा राजा नल के रूप-गुण का वर्णन करना, 'नल' का नाम सुनते ही दमयन्ती का रोमांचित हो जाना । दमयन्ती का नल सम्बन्धी विविध प्रश्न पूछना एवं हंस का नलोत्पत्ति वर्णन, नल की शिक्षा, तारुण्य एवं उसके मन्त्री श्रुतशील का वर्णन, नल के लिए सालङ्कायन का उपदेश, वीरसेन का सालङ्कायन की नीति का समर्थन, नल का राज्याभिषेक-वर्णन, पत्नी के साथ वीरसेन का वानप्रस्थ अवस्था व्यतीत करने के लिए वन-प्रस्थान तथा पिता के अभाव में नल की उदासीनता का वर्णन ।
पंचम उच्छ्वास-नल का गुण श्रवण करने के पश्चात् दमयन्ती के मन में नलविषयक उत्कण्ठा का होना, दमयन्ती का हंस को हारलता देना तथा हंस का प्रस्थान । दमयन्ती की नलविषयक उत्सुकता, राजहंसों का निषेधोद्यान में उतरना एवं सरोवर रक्षिका का राजा को हंसों के आगमन की सूचना देना। वनपालिका का राजा के निकट हंस को लाना तथा हंस द्वारा राजा की स्तुति । हंस का प्रारम्भ से हारलता समपंण पर्यन्त दमयन्ती का वृत्तान्त कहना तथा हंस का नल को हारलता देना। हंस-नल-संवाद एवं हंस का प्रस्थान, नल तथा दमयन्ती का वियोग-वर्णन । दमयन्ती के स्वयंवर की तैयारी, उत्तरदिशा में निमन्त्रण देने जाने वाले दूत से दमयन्ती