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महाभारत ]
(३६८)
[महाभारत
उन्हें समझाना, गान्धारी का क्रोध करना तथा व्यास जी का उसे समझाना, स्त्री-पुरुषों द्वारा अपने संबंधियों को जलांजलि देना।
१२-शान्तिपर्व-युधिष्ठिर द्वारा महर्षि नारद से कणं का वृत्तान्त जानकर शोक प्रकट करना, क्रमशः भीमसेन, अर्जुन, नकुल, सहदेव तथा द्रौपदी का गृहस्थधर्म, राज्य तथा धन की प्रशंसा करते हुए युधिष्ठिर को समझाना, श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर के शोक-निवारण का प्रयत्न करना तथा सोलह राजामों का उपाख्यान सुनाना, श्रीकृष्ण के कहने पर युधिष्ठिर का भीष्म के पास जाना तथा भीष्म का युधिष्ठिर को राजधर्म, भापत्तिग्रस्त राजा के कर्तव्य एवं धर्म की सूक्ष्मता का उपदेश देना। नाना प्रकार के आख्यान, अनेक गीताएं तथा आख्यान, मोक्ष के साधन का वर्णन, यज्ञ में हिंसा की निन्दा तथा अहिंसा की प्रशंसा, सांख्ययोग का वर्णन, जनक तथा शुकदेव आदि ऋषियों की कथा।
१३-अनुशासनपर्व-युधिष्ठिर को सान्त्वना देने के लिए भीष्म का अनेक कथाएँ कहना, लक्ष्मी के निवास करने तथा न करने योग्य पुरुष-स्त्री और स्थानों का वर्णन, शरीर, मन और पाणी के पापों के परित्याग का उपदेश, दान-महिमा-व्रत, उपवास आदि के फल, हिंसा तथा मांस-भक्षण की निन्दा, भीष्म का प्राणत्याग ।
१४-आश्वमेधिकपर्व-युधिष्ठिर का शोक करना तथा श्रीकृष्ण का उन्हें समझाना, अर्जुन से श्रीकृष्ण का मोक्ष-धर्म का वर्णन करना, उत्तंक की कथा, अभिमन्यु का श्राद, मृत बालक परीक्षित का कृष्ण द्वारा पुनरुज्जीवन, यज्ञ का आरम्भ तथा अर्जुन द्वारा अर्थ की रक्षा, विभिन्न प्रकार के दान एवं व्रत का वर्णन।
१५-आश्रमवासिकपर्व-धृतराष्ट्र का गान्धारी तथा कुन्ती के साथ बन जाना, गान्धारी तथा कुन्ती का मृत पुत्रों को देखने के लिए व्यास जी से अनुरोध करना तथा परलोक से मृत पुत्रों का आना एवं दर्शन देना धृतराष्ट्र, गान्धारी एवं कुन्ती की मृत्यु ।
१६-मीसलपर्व-मोसल युद्ध में यदुवंशियों का नाश।
१७-महाप्रस्थानिकपर्व-पाण्डवों द्वारा वृष्णि-वंशियों का श्राद्ध करके हिमालय की ओर प्रस्थान, युधिष्ठिर के अतिरिक्त सभी भाइयों का पतन, युधिष्ठिर का सदेह स्वर्ग में जाना।
१८-स्वर्गारोहणपर्व-स्वर्ग में नारद तथा बुधिष्ठिर में वार्तालाप, युधिष्ठिर का नरक देखना तथा भाइयों का क्रन्दन सुन कर नरक में रहने का निश्चय करना, इन्द्र तथा । 'का युधिष्टिर को समझाना, युधिष्ठिर का दिव्य लोक में जाना तथा अर्जुन, कृष्ण आदि से भेंट करना । महाभारत का उपसंहार और माहात्म्य । 'महाभारत' में अनेक रोचक आख्यानों का वर्णन है जिनमें मुख्य हैं शकुन्तलोपाख्यान (बादि पर्व ७१ वा अध्याय), मत्स्योपाख्यान ( वनपर्व), रामोपाख्यान, शिवि उपाख्यान ( वनपर्व, १३० अध्याय), सावित्री उपास्यान ( वनपर्व २३९ अध्याय ), नलोपाख्यान ( वनपर्व ५२ से ७९ अध्याय तक)। इसमें राजा नल और दमयन्ती की कहानी दी गयी है।
महाभारत के टीकाकार-'महाभारत' की अनेक टीकाएं हैं जिनकी संख्या ३६ है।