________________
नलचम्पू ]
( २३२ )
[ नलचम्पू
की श्लिष्ट बातचीत, उत्तर दिशा से आये हुए दूत से नल का वृत्तान्तश्रवण । सेना के साथ नल का विदर्भदेश के लिए प्रस्थान करना तथा श्रुतशील द्वारा अरण्यशोभा-वर्णन, नर्मदा के तट पर सैन्यवास निर्माण, इन्द्रादि लोकपालों
का आगमन, लोकपालों द्वारा दमयन्ती दौत्यकार्य में नल की नियुक्ति तथा लोकपालों का दूत बनने के कारण नल का चिंचित होना । श्रुतशील का नल को सान्त्वना देना, श्रुतशील सहित नल का एकान्त में मनोविनोद के लिए गमन, वहाँ किरात कामिनियों का दर्शन, दूसरा स्थान दिखाने के बहाने श्रुतशील द्वारा नल की मनोवृत्ति को दूसरी ओर फेरना, रेवा- पुलिन-दर्शन । स्वयंवर में नल की सफलता के संबंध में श्रुतशील का कुछ तकं उपस्थित करना । सन्ध्या-वर्णन |
षष्ठ उच्छ्वास – प्रभातवर्णन, तम्बू आदि का बटोरा जाना एवं पुनः अग्रिम यात्रा की तैयारी, नल का भगवान् सूर्य एवं नारायण की स्तुति करना, विन्ध्याटवी का वर्णन, विदर्भदेश के मार्ग में दमयन्ती के दूत पुष्कराक्ष का नल से मिलना और दमयन्ती के प्रणय-पत्र को नल को अर्पित करना, नल और पुष्कराक्ष का संवाद, मध्याह्न-वर्णन, पयोष्णी-तट पर सेना का विश्राम, पयोष्णी- तट एवं वहाँ के निवासी मुनियों का वर्णन, मुनियों का राजा को आशीर्वाद देना, दमयन्ती द्वारा प्रेषित किन्नर मिथुन से नल का मिलन, सन्ध्यावर्णन, नल का किन्नर मिथुन आदि के साथ शिविर की ओर परावर्तन, रात में सुन्दरक तथा विहङ्गवागुरिका नाम वाले किन्नर मिथुन द्वारा दमयन्ती वर्णनविषयक गीत, रात में नल का विश्राम, प्रातः वर्णन, अग्रिम यात्रा की तैयारी, पुष्कराक्ष के साथ जाते हुए नल द्वारा अपनी प्रिया में अनुरक्त एक हाथी का अवलोकन, हाथी का वर्णन, विन्ध्याचल-वर्णन, विदर्भानदी, विदर्भ की प्रजा, अग्रहारभूमि का वर्णन, नल का चित्र बनाती हुई ग्राम्य स्त्रियों का वर्णन, शाकवाटिकाउद्यान, वरदाविदर्भा-संगम, सैन्य शिविर-वर्णन, कुण्डिनपुर में नल के आगमन के उपलक्ष्य में हर्षं ।
अन्योऽन्य कुशल प्रश्न, लिए प्रस्थान तथा
प्रस्थान | नल द्वारा
सप्तम उच्छ्वास — नल के समीप विदर्भ-सम्राट् का आगमन, विदर्भेश्वर का विनय-प्रदर्शन, विदर्भेश्वर का अपने राजभवन के नल का औत्सुक्य, दमयन्ती द्वारा भेजी गयी उपहारसहित कुबड़ी, नाटी और किरात कन्याओं का नल के समीप आगमन तथा नल को देखकर उनका विस्मय । नल के कुशल प्रश्न के बाद उन कन्याओं का दमयन्ती-भवन के लिए प्रवंतक, पुष्कराक्ष और किन्नर-मिथुन का दमयन्ती के पास भेजा जाना । दोपहर के समय नलं एवं उसकी सेना का भोजन वर्णन, नल का मनोविनोद तथा औत्सुक्य, दमयन्ती के यहाँ से पर्वतक का लौटना तथा अन्तःपुर एवं दमयन्ती का वर्णन, नल का देवदूत होना जानकर दमयन्ती विषण्य होती है वर्णन करता है । सन्ध्या एवं चन्द्रोदय-वर्णन । इन्द्र के वरप्रभाव से नल का कन्यान्तःपुर
एवं पर्वतक उसका
में प्रवेश एवं दमयन्ती का पर्यंवेषण तथा का प्रकट होना तथा दमयन्ती एवं उसकी
उसका स्वगत वर्णन । कन्यान्तःपुर में नल सखियों का विस्मय, नल-विहङ्गवागुरिका