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पंडित जयचंदजी छावड़ा विरचित
कालादि करि वर्णन है याके पद एक लाख चौसठि हजार हैं । पांचमां व्याख्याप्रज्ञप्ति अंग है याविषै जीवके अस्ति नास्ति आदिक साठि हजार प्रश्न गणाधरदेव तीर्थकरकै निकट किये तिनिका वर्णन है पाके पद दोय लाख अठाईस हजार हैं । बहुरि छठा ज्ञातृधर्मकथा नामा अंग है यामैं तीर्थकरनिके धर्मकी कथा जीवादिक पदार्थनिका स्वभावका वर्णन तथा गणधरके प्रश्ननिका उत्तरका वर्णन है याके पद पांच लाख छप्पन हजार हैं। बहुरि सातवां उपासकाध्ययननाम अंग है याविषै ग्यारह प्रतिमा आदि श्रावकका आचारका वर्णन है याके पद ग्यारह लाख सत्तर हजार हैं। बहुरि आठमां अंतकृतदशांगनामा अंग है याविषं एक एक तीर्थकरकै वा दशदश अंतकृत केवली भये तिनिका वर्णन है याके पद तेईस लाख अठाईस हजार हैं । बहुरि नवमां अनुत्तरोपपादकनामा अंग है याविर्षे एक एक तीर्थकरकै वारै दशदश महामुनि घोर उपसर्ग सहि अनुत्तर विमाननिमैं उपजे तिनिका वर्णन है याके पद बाणवै लाख चवालीस हजार हैं । बहुरि दशमां प्रश्न व्याकरणनाम अंग है याविर्षे अतीत अनागत कालसंबंधी शुभाशुभका प्रश्न कोई करै ताका उत्तर यथार्थ कहनेका उपायका वर्णन है तथा आक्षेपणी विक्षेपणी संवेदनी निर्वेदनी इनि च्यार कथानिका भी या अंगमैं वर्णन है याके पद तिराण3 लाख सोलह हजार हैं । बहुरि ग्यारमां विपाकसूत्र नामा अंग है याविर्षे कर्मका उदयका तीव्र मंद अनुभागका द्रव्य क्षेत्र काल भावकी अपेक्षा लिये वर्णन है याके पद एक कोडि चौरासी लाख हैं । ऐसैं ग्यारह अंग हैं तिनिके पदनिकी संख्याका जोड़ दिये च्यार कोडि पंदरह लाख दोय हजार पद होय हैं । बहुरि बारमां दृष्टिवादनामा अंग है ताविर्षे मिथ्यादर्शनसंबंधी तीनसै तरेसठि कुवाद हैं तिनिका वर्णन है