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अष्टपाहुडमें भावपाहुडकी भाषावचनिका। २४९ सौ अस्सी होय । बहुरि क्रोध मान माया लोभ इनि च्यार कषायनिकरि गुणें सातसैवीस होय । बहुरि चेतन स्त्री देवी मनुष्यणी तिर्यंचणी ऐसैं तीन, सो इनि तीननिनैं मन वचन कायकरि गुणें नव होय । तिनि... कृत कारित अनुमोदनाकरि गुणें सत्ताईस होय । तिनिकू पांच इन्द्रियनितें गुणे एकसौ पैंतीस होय तिनिळू द्रव्य अर भाव इनि दोयकरि गुणे दोयसै सत्तरि होय । तिनिकू च्यार संज्ञातें गुणें एक हजार अस्सी होय । इनि• अनंतानुबधी अप्रत्याख्यानावरण प्रत्याख्यानावरण संज्वलन क्रोध मान माया लोभ इनि सोलह कषायनितें गुणे सतराहजार दोयसै अस्सी होय है । ऐसैं अचेतनस्त्रीके सातसैवीस मिलाये अठारह हजार होय हैं, ऐसे स्त्रीके संसर्गतै विकार परिणाम होय ते कुशील हैं इनिका अभावरूप परिणाम ते शील हैं याकू भी ब्रह्मचर्यसंज्ञा है ॥
बहुरि चौरासी लाख उत्तरगुण ऐसे है जो आत्माके विभाव परिणामनिके बाह्यकारणनिकी अपेक्षा भेद होय है, तिनिके अभावरूप ये गुणनिके भेद हैं, तिनि विभावनिका संक्षेपकरि भेदनिकी गणना ऐसैंहिंसा १ अनृत २ स्तेय ३ मैथुन ४ परिग्रह ५ क्रोध ६ मान ७ माया ८ लोभ ९ भय १० जुगुप्सा ११ अरति १२ शोक १३ मनोदुष्टत्व १४ वचनदुष्टत्व १५ कायदुष्टत्व १६ मिध्यात्व १७ प्रमाद १८ पैशून्य १९ अज्ञान २० इन्द्रियनिका अनुग्रह २१ ऐसैं इकईस दोष है, तिनि• अतिक्रम व्यतिक्रम अतीचार अनाचार इनि व्यारनितें गुणें चौरासी होय हैं । बहुरि पृथ्वी अप तेज वायु प्रत्येक साधारण ये तो थावर एकेंद्रिय जीव छह अर विकल तीन पंचेंद्रिय एक ऐसैं जीवनीका दश भेद तिनिका परस्पर आरंभरौं धात होत परस्पर गुणें सौ (१००) होय इनितें चौरासीकू गुणें चौरासी सौ होय है। बहुरि तिनि• दश शील विराधनांत गुणें चौराशी हजार होय, तिनि दशके नाम--स्त्रीसंसर्ग १ पुष्टरसभोजन २