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वीय अध्ययनः द्वितीयोदेशक ]
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सदा दूर रहता है । सम्यग्दर्शन वाला व्यक्ति पापकर्म नहीं करता है। तात्पर्य यह है कि सम्यग्दृष्टि जीव जितने अंश में स्वात्मा में स्थित और पर-पदार्थों से निरपेच होता है। उतने अंश में उसे पाप का बन्धन नहीं होता है। कहा भी है:
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न सुदृष्टिस्तेनाशनास्य बन्धनं नास्ति । येनशिन तु रागस्तेनाशनास्य बन्धनं भवति ॥
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अर्थात् — जिस अंश में सम्यग्दर्शन है उस श्रंश से बन्धन नहीं है और जिस अंश से राग है उस अंश से बन्धन होता है ।
तात्पर्य यह है कि सम्यक्त्वदर्शी प्राणी भव-भ्रमणरूप कोई भी पापक्रिया नहीं करता । भव-भ्रमण का खास कारण मिध्यात्व है और वह मिथ्यात्व से परे हो चुका है इसलिए वह भव-भ्रमणरूप पापक्रिया करता है।
उम्मुंच पासं इह मच्चिएहिं, प्रारंभजीवी उभयाणुपस्सी । कामेसु गिद्धा निचयं करंति संसिचमाणा पुरिंति गब्भं ।
संस्कृतच्छाया - उन्मुञ्च पाशमिह मयैः (सार्द्ध), श्रारम्भजीवी, उभयानुदर्शी । कामेषु गृद्धाः निचयं कुर्वन्ति, संसिच्यमानाः पुनर्यान्ति गर्भम् ।
शब्दार्थ- - इह - इस मनुष्य लोक में । मच्चिएहि मनुष्यों के साथ | पास = स्नेह के बाल को | उम्मुश्च = दूर करो | आरंभजीवी = ये गृहस्थ हिंसादि से जीविका करते हैं । उभयाणुपस्सी - इस लोक और परलोक में कामसुखों की लालसा करते हैं । कामेसु = विषय-भोगों में । गिद्धा = श्रासक्त होकर | निचयं कर्म का बन्धन | करंति करते हैं । संसिच्चमाणा - कर्मों से लिप्त होकर | पुण= बारबार | गब्र्भ - गर्भ में । इंति = गमन करते हैं ।
भावार्थ - हे मुनि साधक ! असंयती गृहस्थों के साथ स्नेहसम्बन्ध के जाल से सदा दूर रहो क्योंकि ये गृहस्थ जीवहिंसादि आरम्भ से जीविका करते हैं और इस लोक और परलोक में विषयसुखों की लासा करते हैं । ये गृहस्थ विषय-भोगों में आसक्त होकर कर्मों का बन्धन करते हैं और कर्ममल से लिप्त होकर पुनः २ जन्म-मरण करते हैं अतएव इनके साथ स्नेह-पाश में तुम न फँसो ।
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विवेचन-- इस संसाररूपी वृक्ष को सींचने वाले राग और द्वेष हैं। इनमें भी रागभाव विशेषतः संसार की वृद्धि का कारण होता है। क्योंकि जहाँ राग होता है वहाँ द्वेष नियमतः पाया जाता है । जो प्राणी किसी के साथ रागभाव से बँधा हुआ है वह अवश्य किसी दूसरे से द्वेष करता ही है । अतः द्वेष का कारण भी किसी पर राग करना ही है। इस अपेक्षा से रागभाव ही प्रधानतः संसार के मूल को 'सींचने वाला है। अतएव इस स्नेह के पाश से सदा दूर रहने की शिक्षा इस सूत्र में दी गई है।
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