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[५६३
अष्टम अध्ययन सप्तमोद्देशक ]
यहाँ एक शंका हो सकती है कि प्रतिमा-प्रतिपन्न मुनि एक साथ भोजन नहीं करते हैं तो वे साम्भोगिक कैसे कहे जा सकते हैं ? इसका समाधान यह है कि यद्यपिवे एक माथ बैठकर आहारादि नहीं करते हैं तदपि समान अभिग्रह का अनुष्ठान करने से वे साम्भोगिक कहे जाते हैं । ऐसे साम्भोगिक मुनियों की सेवा करना और उनकी सेवा का स्वीकार करना प्रतिमाधारियों का प्राचार है।
जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ-से गिलामि खलु अहं इमंमि समए, इमं सरीरगं अणुपुव्वेण परिवहित्तए, से अणुपुव्वेणं श्राहारं संवट्टिजा, श्राहारं संवट्टित्ता कसाए पयणुए किच्चा समाहियच्चे फलगावयट्ठी उट्ठाय भिक्खू अभिनिव्वुडच्चे अणुपविसित्ता गामं वा नगरं वा जाव रायहाणिं वा तणाई जाइजा, जाव संथरिजा, इत्थवि समए कायं च जोगं च ईरियं च पक्क्खाइजा, तं सचं सच्चावाई प्रोए तिने छिन्नकहकहे पाइय? अणाईए, चिचाणं भेउरं कायं संविहूणिय विरूवरूवे परीसहोवसग्गे अस्सिं विस्संभणयाए भेरवमणुचिन्नेतत्थावि तस्स कालपरियाए, से वि तत्थ विप्रन्तिकारए, इचेयं विमोहाययणं हियं सुहं खमं निस्सेसं पाणुगामियं त्ति बेमि।
संस्कृतच्छाया–यस्य भिक्षोरेवं भवति तद ग्लायामि खल्वह मित्यादि पूर्वोद्देशकवत् यावतृणानि संस्तरेत् अत्रापि समये कायं च योग च ईयर्यांच प्रत्याचक्षीत, तञ्च सत्यं सत्यवादीत्याद्यनन्तरोदेशकवन्नेयम् । . शब्दार्थ-पष्ठ उद्देशक के अनुसार समझ लेने चाहिए । विशेष शब्दों का अर्थ इस प्रकार है-इत्थवि समये-वहाँ समय आने पर । कार्य-शरीर को । योग शरीर के आकुंचनप्रसारण प्रवृत्ति को । ईरियं-सूक्ष्म हलन-चलन को । पञ्चक्खाइजा-छोड़ दे। शेष पूर्ववत् ।
भावार्थ--जब मुनि को यह मालूम हो जाय कि मैं इस शरीर को यथाक्रम धारण करने में असमर्थ हो रहा हूँ तब उसे अनुक्रम से आहार को कम कर देना चाहिए और आहार का त्याग करके कषायों को कृश कर देना चाहिए । शरीर के व्यापारों को नियमित करके, लकड़ी के पाटिये के समान सहनशील होकर, मरने के लिए तय्यार होकर शरीर की शुश्रूषा को छोड़कर ग्राम, नगर यात् राजधानी में तृण की याचना करे यावत् तृण-शय्या बिछावे और योग्य समय में उस पर आरूढ़ होकर शरीर का, शरीर के व्यापार का और सूक्ष्म हलन चलन का भी त्याग कर दे। सत्यवादी, पराक्रमी, गगद्वेष हित संसार से तिरा हुआ-सा, डर और निराशा से रहित, वस्तु के स्वरूप को जानने वाला और संसार के बन्धनों में नहीं बंधा हुआ मुनि सर्वज्ञ के आगमों में विश्वास रखने के कारण भयंकर परीषह और उप
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