Book Title: Agam Sagar Kosh Part 03
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
[Type text]
आगम-सागर-कोषः (भागः-३)
[Type text]
तरुपडणे-तरुपतनम्। स्था० ९३।
प्रभुस्थानीयो नगरादिचिन्तकः। उत्त० ३४३। तलवरःतरुपतनस्थानानि-यत्र ममर्षव एवानशनेन
परितुष्टनरपतिप्रदत्तपट्टबन्धविभूषितः। तरुवत्पतितास्ति-ष्ठन्ति तरुभ्यो वा गत्र पतन्ति। राजस्थानीयः। प्रज्ञा० ३२७। भग० ३१८, ४६३। तलवरःस्था०।
प्रतुष्टनरपतिवितीर्णपट्टबन्धः-विभूषितो राजस्थातरोमल्लिन-बलाधायिनो वेगाधायिनो वा। ज्ञाता०५८। नीयः। भग० ११५ तलवरःतरोमल्लिहायणे-तरोमल्लिहायनः तरोधारको
सन्तुष्टनरपतिप्रदत्तसौवर्णपवेगादिधारको हायनः संवत्सरो यस्य सः यौवनवानिति। डालकृतशिरस्कचौरादिशुद्धयधिकारी। जम्बू. १२२॥ जम्बू० १३०
तलवर:-राजवल्लभः, राजसमानः। अन्त०१६। राजप्रतरोमल्लो-तरोधारकः वेगादिकृत्। जम्बू. २६५)
तिमाचामर-विहितो तलवारो। निशी० २७० अ। तलवरःतर्कणं-मनसा यदि मह्यमसौ ददातीति विकल्पनम्। परितुष्टनरपतिप्रदत्तपट्टबन्धविभूषितः। औप०१४। उत्त० ५८७
तलवरः- परितुष्टनरपतिवितीर्णपट्टबन्धविभूषितः। तर्कुकः- वनीपकः। प्रश्न. १५४।
राजस्थानीयः। औप० ५८ तलवरः-कृतपट्टबन्धराजतर्पणालोडिकयेति-सक्त्वालोडनेन
स्थानीयः। प्रश्न० ९६। तलवरः- राजप्रसादवानु जलादयालोडितसक्तु-भिरित्यर्थः। स्था० २६१।
राजोत्था-सनिकः। विपा० ४० तलवरःतर्ष- तृष्णा। उत्त० १८३।
परितुष्टनरपतिप्रदत्तरत्ना-लङ्कृतसौवर्णपट्ट तलं-रूपम्। औप०१६। उपरितनो भागः। जीवा० १८९।। विभूषितशिराः। जीवा० २८०। परितुष्टनप्रतिष्ठानम्। प्रश्न०६३। हस्तप्टम्। जीवा. २६६। रपतिदत्तसौवर्णतलवर-पट्टालंकृतशिरस्कः। बृह. २५५ भूमिका। जीवा० १०३। तालवृक्षः। अनुयो० १७७)
आ। राजवल्लभः। भग०४६३। घटिकाकालः। बृह० ७। हस्ततलः। जम्बू० ६३। तलः- तलवरा-तलवराः-परितुष्टनृपदत्तपट्टबन्धविभूषिता तालवृक्षः। जीवा० १२२। तलः-हस्तकः। जीवा० १६०| राजस्था-नीयाः। जम्बू. १९०| तलः-हस्ततलः। जीवा० २१७। तलः-उपरितनो भागः- परितुष्टनरपतिप्रदत्तपट्टबन्धविभू-षिताः। राज० १३१| सूर्य०६९।
तला- तलौ-हस्ततलौ। जीवा० १६२ प्रज्ञा०८९। हस्तकाः। तलउदाडा-गुच्छाविशेषः। प्रज्ञा० ३२
प्रज्ञा० ८६। सम० १३८1 जम्बू०७६। औप०५१ तलणं- तलनम्। प्रश्न०१४|
तलंभूमिका। प्रज्ञा० ८० हस्ततालाः। प्रश्न. १५९) तलताला- हस्तमालाः। सूर्य० २६७। ज्ञाता० २३३। प्रश्न | तलाग- तडागः। प्रश्न० ८। तडागः-पुरुषादिकृतो १५९
जलाशय-विशेषः। प्रश्न. १३४। तडागः-कृतको तलपत्त-तलपत्राणि-तालाभिघानवक्षवर्णानि। ज्ञाता० जलाशयविशेषः। प्रश्न० १६१। तडागः-खानितो २३१॥
जलाशयविशेषः। अनुयो० १५९। तलभंगय-तलभङ्गकम्। औप० ५५ तलभङ्गकं- तलागाति-तडागादीनि। स्था०८६| भूषणविधि-विशेषः। जीवा. २६९। तलभगकं
तलानि-मध्यखण्डानि। स्था० ४३५ बाह्वाभरणम्। औप०४९। तलभङ्गकः
तलाय-तडागम्। प्रज्ञा० ७२ तडागः-कृत्रिमजलाशयबाह्वाभरणविशेषः। प्रज्ञा० ९१। जीवा० १६४।
विशेषः। भग० ३७३। तलभगकं-बाह्वाभरणम्। जम्बू. १०६|
तलिगा-सोपानत्काः उपानद्रूढपादाः। ओघ०५५। तलवर
तलिका-चर्मपञ्चके प्रथमो भेदः। आव० ६५२। परितुष्टनरपतिप्रदत्तरत्नालङ्कृतसौवर्णपट्टविभूषि- तलिणो-तलिनः प्रतलः। औप० १९| जीवा० २७२१ प्रश्न. तशिराः। अनुयो० २३
८१ परितुष्टनरपतिप्रदत्तपट्टबन्धभूषितः। स्था० ४६३। | तलिना-सूक्ष्मा। बृह. ११३ अ।
मुनि दीपरत्नसागरजी रचित
[34]
"आगम-सागर-कोषः" [३]

Page Navigation
1 ... 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272