Book Title: Agam Sagar Kosh Part 03
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 108
________________ [Type text] आगम-सागर-कोषः (भागः-३) [Type text] नंगलिय- नाङ्गलिकः नंदमाणग-नन्दमानकः पक्षिविशेषः। प्रश्न. ८1 गलावलम्बितसुवर्णादिमयलागलाका-रधारीभट्टविशेषः | नंदमित्ते- द्वितीयः विष्णुः। सम० १५४१ कर्षको वा। औप०७३। नंदसिरी- नन्दश्रीः संवरोदाहरणे भद्रसेनहिता। आव. नंगलिया ७१३ गलावलम्बितसुवर्णादिमयलागलप्रतिकृतिधारिणो | नंदसेणिया- नन्दसेनिका अन्तकृद्दशानां सप्तमवर्गस्य भट्टविशेषाः कर्षका वा। भग०४८१। चतुर्थ-मध्ययनम्। अन्त०२५ नंतिक्क-नंतिक्ताः छिपाः। व्यव० ४१९ आ। नंदा- नन्दति समृद्धो भवतीति नन्दः तस्यामन्त्रणमिदं नंद-नन्दः योगसंग्रहे शिक्षादृष्टान्ते पाटलिपुत्रस्य राजा। इह च दीर्घत्वं प्राकृत्वात्। जम्बू. १४३। नन्दति आव०६७० नन्दो मौर्याणां वंशजातः। व्यव० २८० शीतलजिन-माता। आव. १६० नन्दा एतदभिधाना नन्दः नृपतिविशेषः। व्यव० १४० आ। नन्दः पाटलिपुत्रे शाश्वतीपुष्करिणी। जम्बू०४१७। नन्दा अन्तकृद्दशानां राजा। उत्त. १०४। नन्दः-उदायिराज्ञो मन्त्री। वृत्तं सप्तमवर्गस्य प्रथम-मध्ययनम्। अन्त०२७ नन्दा लोहा-सनम्। ज्ञाता०४३। नन्दं-मङ्गलवस्तु, वृत्तं नन्दयति समृद्धि नयतीति नन्दा, लोहासनम्। भग० ५४७। स्थूलभद्रस्वामिनः पितामारितो अहिंसायाश्चतुर्विंशतितमं नाम। प्रश्न. ९९। नन्दा नृपः। नन्दी. १६७। नन्दं वृत्तलोहासनम्। जम्बू० ४२३। संवरोदाहरणे वाराणस्यां जीर्णश्रेष्ठिनो भद्रसेनस्य नन्दिनामकं सन्निवेशम्। उत्त० ३७९। नन्दः भार्या। आव०७१३। नन्दा पुष्करिणीविशेषः। जीवा. ब्राह्मणग्रामे उपनन्दस्य भ्राता। आव. २०१। भरतक्षेत्रे २२९। सम० १५०१ श्रेणिकस्य राज्ञी। निर०९। ज्ञाता० भावितीर्थकरस्य पूर्वभवनाम। सम० १५४। नन्दः- ११। अभय-कुमाररस्य माता। ज्ञाता०११। पारिणामिकीबुद्धिदृष्टान्ते पाटलिपुत्रे शल्लीपतिः। आव० | नंदावत्त- चतुरिन्द्रियजीवविशेषः। जीवा० ३२ प्रज्ञा० १, ४३३॥ ४। नन्दावतः चतुरिन्द्रियजीवभेदः। उत्त० ६९६) नंदगोवं- नंदगोपः। व्यव. २४० नंदी- नन्दी अतिशयेन महान्। व्यव० ३२४१ नंदिः तुष्टिः नंदण-नन्दनं भमरस्य विकर्वणा विषयकोद्देशके प्रमोदः। आचा० १४३। नन्दन्ति प्राणिनोऽनेनास्मिन् मोचानगर्यां चैत्यम्। भग० १५३। मल्लिनाथजिनस्य वेति वा नन्दिः -इदमेव प्रस्तुततमध्यनं नन्दनं नन्दि पूर्वभवनाम महा-वीरस्वामिनः पूर्वभवनाम। सम० १५१| प्रमोदो हर्षः इत्यर्थः। ज्ञानपञ्चकाभिधायकाध्ययनमपि रधाणिताधिपती। स्था० ४०६। भरतक्षेत्रे भावि सप्तमो नन्दिः। नन्दी.१। नन्दिः आविष्टलिंगः। नन्दी.१। वासुदेवः। सम०१५४१ दवादशतुर्यसङ्घाते नन्दिः। जीवा. २०७। नन्दीः नंदणं-नन्दयति आनन्दयति देवादीनिति नन्दनं द्वादशतूर्यनिर्घोषः। प्रश्न. १५९। क्रीडा। आचा० १५९। देववनम्। जम्ब० ३६३। नन्दनः लक्षणोपेततया नंदिआवत्तं- देवविमानविशेषः। सम० ३२ नन्द्यावतः। समृद्धिजनकः। उत्त०४५१। द्वितीयवर्गे ब्रह्मलोके देवविमानविशेषः। औप. ५२ आव. २१७। दशमममध्ययनम्। निर० १९। नंदिए- नन्दितः समृद्धतरताम्पागतः। भग० ११९। नंदणवणं- नंदनवनं दवारवत्यां वनविशेषः। अन्त०१८ नंदिगाम- नन्दीग्रामः भगवतो वर्धमानस्वामिनः नंदनवनं मेरुसम्बन्धी उत्तमवनविशेषः। प्रश्न. १३५ पिर्मित्रस्य ग्रामः। आव. २२२॥ नंदनवनं रैवतपर्वते वनविशेषः। अन्त० ११ नंदनवनं। नंदिघोस- देवविमानविशेषः। सम०१७ तूर्यनादः। ज्ञाता० मेरो-द्वितीयवनम्। प्रश्न० ८५। रैवतकपर्वतस्य ५८। द्वादशतूर्यसङ्गातो नन्दी तस्य घोषः। उत्त. उद्यानविशेषः। निर० ३९। नन्दन्ति ३०५ नन्दीघोषः-द्वादशतूर्यनिनादः। जीवा. १९२ सुरासुरविद्याधरादयो यत्र तन्नन्दनं वनं नंदिघोसेण- नन्दीघोषेण द्वादशतूर्यनिनादात्मकेन यद्वा अशोकसहकारादिपादपवृन्दं च तदवनं च नन्दनवनम्। आशीर्वचनानि नान्दी जीयास्त्वमित्यादीनि तदघोषण नन्दी०४६। बन्दिकोला-हलात्मकेन। उत्त० ३४९। मुनि दीपरत्नसागरजी रचित [108] "आगम-सागर-कोषः" [३]

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