Book Title: Agam Sagar Kosh Part 03
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 56
________________ [Type text] आगम-सागर-कोषः (भागः-३) [Type text] करणम्। जम्बू०४९३। स्थूलभद्रः-स्त्रीपरीषहे दृष्टान्तः। उत्त०१०४ थीह-अनन्तकायभेदः। भग. ३००| कन्दविशेषः। उत्त. योगसंग्रह-शिक्षादृष्टान्ते कल्पकवंशप्रसूतस्य ६९१। भग०८०४। नवमनन्दराजमन्त्रिशक-टालस्य ज्येष्ठः पुत्रः यः धुंडइ- गुच्छाविशेषः। प्रज्ञा० ३२ शिक्षायोगवान् आचार्यो जातः। आव० ६७०| संभूअस्स थुई-स्तीतिः। आव० ७९९। सीसो। निशी. २४३ अ। स्थूलभद्रःथुडं- खन्धः । राज०६। बहश्रुतआचार्यविशेषः। उत्त० १३०| स्थूल-भद्रःथुल्ल-स्थूलः। ओघ० २१६। कल्पकवंशप्रसूतशकटालज्येष्ठपुत्रः। आव०६९३। थुल्लतो-स्थूरः। उत्त० ३२५१ स्त्रिया अजेता मुनिः। मरण। थुल्लसमणओ-स्थूल श्रवणकः गौतमः। आव० २८७। थूलभद्दसामो-स्थूलभद्रस्वामी। आव० ४२५। थवंति-स्तयन्ते-अभिष्ट्रयन्ते अभिनन्दयते। भग०६७० | थलवया-स्थलं-अनिपणं यतस्ततो भाषितया व थूणं- लेपं। निशी. ३३६ अ। सः स्थूलवचाः। उत्त० ४९। थूणा- वेली। निशी० ८३ आ। स्थूणा। प्रज्ञा० २९३। स्थूणा थूला-स्थूला । आव० ८५५ नगरी। आव० १७१। स्थूणा-ऊर्ध्वतिर्यक्करणयो- थूलेसरो-स्थूलेश्वरः-इहलोकगणविषये व्यन्तरविशेषः। गात्सङ्घातशाटविरहादुभयशून्या। आव० ४६२। आव०८२४१ थूणामंडव-स्थूणाप्रधानो वस्त्राच्छादितो मण्डपः थूल्लं-स्थूलम्। आव. ९० स्थूणाम-ण्डपः। ज्ञाता०९३। थूह-स्तूपम्। आव०५०५ थूभं-स्तूपम्। ओघ० १३। स्तूपः-पीठविशेषः। जम्बू थेज्जे-स्थैर्यधर्मयोगात् स्थैर्यः। भग० १२२१ १२३। इट्टगादिचिया विच्चा थूमो। निशी. १९२ अ। थेर-सद्विवरिसे विसेसेणं जन्नसरीरे। निशी०६५। स्तूपः-चितिविशेषः। प्रश्न० ८। स्तूपः-चैत्यस्तूपः। स्थविरः-यो गच्छस्य संस्थितिं करोति। जाति(जन्म) राज० १२११ श्रुतपर्यायैर्वा स्थविरः। दशवै० ३१। स्थविरः-सीदतां थूभकरंडं- स्तूपकरण्डं ऋषभपुरे उद्यानम्। विपा० ९४। स्थि-रीकरणहेतुः। दशवै. २४२। स्थविरःथूभमहो-स्तूपमहः स्तूपसत्क उत्सवः। जीवा० २८१| श्रुतपर्यायवृद्धः। प्रव-चनगुरुः। दशवै० २८४। स्थविरःआव० ३२८१ जातिश्रुतपर्यायभेदाभिन्नः। आव० ११९। चरगादिएहिं थूभसंठिओ-स्तूपसंस्थितः। जीवा० २७९। दंसणातो परीसहोवसग्गेहिं वा चरणातो थूभिंदे-स्तूपः-पारिणामिकबद्धौ एकविंशतितमो अतिकक्खडपच्छित्तछणेण वा भावतो ण चालि-जति दृष्टान्तः। नंदि० १६५ सो थिरो। निशी. १४३ आ। स्थेरः आचार्यो गुरुर्वा। थूभिया-स्तूपिका शिखरम्। राज० ३६। आव०६५४ स्थविरः-स्थविरकल्पिकः। ओघ. १६५ थूभियाए-स्तूपिका-शिखरम्। जम्बू०४७। जीवा० ३७९| धर्मपरिणत्या निवृत्तासमञ्जसक्रियामतिः। स्थविर इव प्रज्ञा० ९९। सूर्य २६४। स्तूपिका-लघुशिखररूपा। जीवा० स्थविरः, परिणतसाधुभाव आचार्यः। जीवा० ४॥ २०५, ३६० स्थविरः। प्रज्ञा० ३२७। श्रुतादिभिर्वृद्धत्वात् स्थविरः। थूभियागे-स्तूपिका लघुशिखररूपा। जम्बू० ४९। ज्ञाता०७। स्थाविरः-श्रुत वृद्धः। भग० १३६। जातिश्रुतपथूलते- उच्चारपरिणामि। तन्दु०। र्यायभेदभिन्नाः स्थविरः। ज्ञाता० १२३॥ स्थविरःथूल-स्थूलः अत्यन्तमांसलोऽयं मनुष्यादिः। दशवैः गणधरः। दशवै. २५५ स्थविरः-महावीरजिनशिष्यः २१७। स्थूल-एरण्डकाष्ठादि। दशवै० १४७) श्रुतवृद्धः। भग० १०० सीदमानान् साधन थूलगं- परिस्थूलवस्तुविषयोऽतिदुष्टविवक्षासमुद्भवः ऐहिकामष्मिकापायप्रदर्शनतो मोक्षमार्गे स्थिरी स्थूलः। आव० ८२० करोतीति स्थविरः। व्यव० १७२ अ। थूलभद्द- अन्तिमचतुर्दशपूर्वधरः। निशी० १४६ आ। | प्रवर्तिव्यापारितेष्वर्थेषु यो यत्र यतिः सीदति सत् मुनि दीपरत्नसागरजी रचित [56] "आगम-सागर-कोषः" [३]

Loading...

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272