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दूसरा अध्याय पहले अध्याय में सम्यग्दर्शन के विषयरूप से सात पदार्थों का नाम निर्देश कर आये हैं जिनका आगे के अध्यायों में विशेष रूपसे विचार करना है। उनमें से सर्वप्रथम चौथे अध्याय तक जीव तत्त्व का विवेचन करते हैं
पांच भाव, उनके भेद और उदाहरणऔपशमिकतायिकौ भावौ मिश्रश्च जीवस्य स्वतत्त्वमौदयिकपारिणामिकौ च ॥१॥ द्विनवाष्टादशैकविंशतित्रिभेदा यथाक्रमम् ॥ २॥ सम्यक्त्वचारित्रे ॥३॥ ज्ञानदर्शनदानलाभभोगोपभोगवीर्याणि च ॥ ४ ॥
* ज्ञानाज्ञानदर्शनलब्धयश्चतुस्वित्रिपंचमेदाः सम्यक्त्वचारित्रसंयमासंयमोश्च ।। ५॥ __ + गतिकषायलिंगमिथ्यादर्शनाज्ञानासंयतासिद्धलेश्याश्चतुश्चतुस्न्येकैकैकपड्भेदाः ॥ ६॥
जीवमव्याभव्यत्वानि च ॥ ७॥ * श्वेतांबर पाठ 'ज्ञानाज्ञानदर्शनदानादिलब्धयः' इत्यादि है। श्वेतांबर पाठ-'सिद्ध' के स्थान में सिद्धत्व' है। श्वेताम्वर पाठ त्वादीनि' है।