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तत्त्वार्थसूत्र
[४.३७-४१. कराने के लिये अलग से सूत्र रचा है। पहली भूमि में नारकों की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष प्रमाण है । ३५-३६ ।
भवनवासियों की जघन्य स्थितिभवनेषु च । ३७। उसी प्रकार भवनवासियों की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष प्रमाण है। ____ भवनवासियों के प्रत्येक अवान्तर भेद की उत्कृष्ट स्थिति अट्ठाइसवें सूत्र में बतला आये हैं किन्तु उनकी जघन्य स्थिति बतलाना शेष था जो इस सूत्र द्वारा बतलाई गई है । यह दस हजार वर्ष प्रमाण जघन्य स्थिति भवनवासियों के सब अवान्तर भेदों की है यह इस सूत्र का तात्पर्य है ॥ ३७॥
व्यन्तरों की स्थितिव्यन्तराणां च । ३८ । परा पल्योपमधिकम् । ३८ । तथा व्यन्तरों की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष है ।
और उत्कृष्ट स्थिति साधिक पल्योपम प्रमाण है। सब प्रकार के व्यन्तरों की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष प्रमाण और उत्कृष्ठ स्थिति साधिक पल्यापम प्रमाण है यह प्रस्तुत सूत्रों का तात्पर्य है । ३८-३६ ।
ज्योतिष्कों की स्थितिज्योतिष्काणां च। ४० । तदष्टभागोऽपरा । ४१ ।।
इसी प्रकार ज्योतिष्कों की उत्कृष्ट स्थिति साधिक पल्योपम प्रमाण है।