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पर्वतों क
३. ९-२३.] जम्बूद्वीप में क्षेत्रों आदि का वर्णन १५३ पर्वत है। पाँचवाँ क्षेत्र रम्यकवर्ष है जो विदेहवर्ष के उत्तर में है। इन दोनों का विभाग करनेवाला नीलपर्वत है। छठा क्षेत्र हैरण्यवतवर्ष है जो रम्यकवर्ष के उत्तर में है। इन दोनों का विभाग करनेवाला रुक्मीपर्वत है। तथा सातवाँ क्षेत्र ऐरावतवर्ष है जो हैरण्यवतवर्ष के उत्तर में है। इन दोनों क्षेत्रों को विभक्त करनेवाला शिखरी पर्वत है ।। १०-११॥ ____ उक्त छहों पर्वतों का रंग क्रमशः सोना, चाँदी, तपाया हुआ सोना, वैडूर्य मणि, चाँदी और सोना इनके समान है। अर्थात् दूर से देखने
... पर ये छहों पर्वत उक्त रंगवाले प्रतीत होते हैं। इन और विस्तार
- सभी पर्वतों के पार्श्व भाग में अनेक प्रकार के मणि
- पाये जाते है जिनसे उनकी शोभा और भी बढ़ गई है । इनका विस्तार मूल से लेकर ऊपर तक भीत के समान एक सरीखा है, कमी अधिक नहीं ।। १२-१३ ॥
इन हिमवान् आदि छहों पर्वतों के ऊपर क्रम से पद्म, महापद्म, तिगिंछ, केसरी, महापुण्डरीक और पुण्डरीक ये छह तालाब है जिन्हें
__ ह्रद कहते हैं। जिनमें से पहला तालाब एक हजार तालाब
योजन लम्बा, पाँच सौ योजन चौड़ा और दस तालाब की लम्बाई
बाइ योजन गहरा है। इन सब तालाबों के तल वज्रमय श्रादि
हैं और ये स्वच्छ जल से पूरित हैं ।। १४-१६ ॥ प्रथम तालाब के मध्य में एक योजन का पुष्कर-कमल है । इसकी कर्णिका दो कोस की और पत्ता एक-एक कोस का है इससे कमल एक
योजन का हो जाता है। यह कमल जलतल से दो कमलों का और
- कोस निकला है जो सबका सब पत्तों से परिपूर्ण तालाबों का विशेष
एक है। यह कमल पृथिवीमय है। अलावा इसके परिवर्णन
__ वार कमल एक लाख चालीस हजार और एक सौ पचास हैं जिनका उत्सेध आदि मुख्य कमल से आधा है। इसी प्रकार