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४. ४२.] लौकान्तिकों की स्थिति
१६७ ओर जघन्य स्थिति उनको उत्कृष्ट स्थिति का आठवाँ भाग प्रमाण है। ___ ज्योतिष्कों के पाँच भेद हैं चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और प्रकीर्णक तारका। इनमें से चन्द्र को स्थिति एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम प्रमाण है। सूर्य की स्थिति एक हजार वर्ष अधिक एक पल्यापम प्रमाण है। ग्रहों में शुक्र की सौ वर्ष अधिक एक पल्योपम प्रमाण है। गुरु की पल्योपम प्रमाण है। बुध, मङ्गल और शनि आदि शेष ग्रहों की आधा पल्योपम प्रमाण है । तारकों और नक्षत्रों की उत्कृष्ट स्थिति पल्योपम का चौथा भाग प्रमाण है और सबको जघन्य स्थिति पल्योपम का आठवाँ भाग प्रमाण है॥४०-४२॥
लौकान्तिकों की स्थितिलौकान्तिकानामष्टौ सागरोपमाणि सर्वेषाम् । ४२ ।
सब लौकान्तिकों की स्थिति आठ सागरोपम प्रमाण है। __ अब तक देवों के सब भेद प्रभेदों की स्थिति का निर्देश तो. किया किन्तु लौकान्तिक देवों की स्थिति नहीं बत लाई, इसलिये प्रकृत सूत्र द्वारा उसोका निर्देश किया गया है। सव लौकान्तिक देवों की स्थिति आठ सागरोपम प्रमाण होती है यह इस सूत्र का भाव है । इनमें स्थिति का जघन्य और उत्कृष्ट भेद नहीं पाया जाता ऐसा यहाँ जानना चाहिये । ४२ ।