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[ ११ ] विषय पौद्गलिक बन्धके हेतु का कथन बन्धके सामान्य नियम के अपवाद बन्धके समय होनेवाली अवस्थाका निर्देश प्रकारान्तर से द्रव्य का स्वरूप काल द्रव्यकी स्वीकारता और उसका कार्य गुणका स्वरूप परिणाम का स्वरूप
छठा अध्याय योग और प्रास्त्रव का स्वरूप
योग और योगस्थान
किसके कितने योग होते हैं योगके भेद और उनका कार्य
परिणामों के आधार से योग के भेद स्वामिभेद से आस्रव में भेद साम्प्रदायिक कर्मास्रवके भेद आस्रवके कारण समान होने पर भी परिणाम भेदसे आस्रवमें जो विशेषता आती है उसका निर्देश अधिकरण के भेद प्रभेद आठ प्रकारके कर्मों के आस्रवों के भेद ज्ञानावरण और दर्शनावरण कर्मों के आस्रवोंका स्वरूप असातावेदनीय कर्मके आसवों का स्वरूप मातावेदनीय , " " दर्शनमोहनीय , " "
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