Book Title: Sutrakrutanga Sutram Part 04
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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साता frनिक नियामिति पा लहे या रूक्ष इति वा 'तीराधी
कगि मि' बाहरनगरविदिति वा पति बीमि
११ भोगपति -गलम-पमिदवाचर-पञ्चदशमाया . पनि
पनिशदगयपन कान्य निर्मापक, दिया-पीनारपति कोन्हापुररानमदत्त
नार्थी परभूषित होनापुराजगुरुपारचाचारि-नाना - जैनधर्मदिवाकर -T-1 श्री चामीलालानिविरचिनाय श्री "नामृतम्य" ममगार्थ रोधिन्या. मायां पापायांतितीवचनम्कन्धे
| HARIS नमानम् ॥ गुतो में युक्त, दान जिनेदिग, गुम, मुग्न प्रापि, मुनि, कृती, विज्ञान, fas, नीरगी और चरण करणपारचित ।
मा में रहता ||१|| नानानधर्मदिया पनी घानीयालजीमहाराजकृत __
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