Book Title: Sutrakrutanga Sutram Part 04
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 741
________________ ३८० सूत्रकृतायो मक्रमाश्रित्य स्यान्नित्य इति भगत, तथा प्रतिक्षणं रूपपरिवर्तनकारिणं विशेश'मानित्य स्यादनिभ्य इति भवति, तदुक्तम् - 'घटमौलिसुवर्णा नाश यादस्थितिप्वयम् । . . ..शोकपमोदमाध्यस्थ्यं जनो याति सहेतुकम् ॥ . . : अर्थात् कस्याश्चिद्राजकन्यायाः सुवर्ण कलश आसीत् । राजा च सुवर्ग कारहारानी मन्तिदीयं सुवर्णकलां गलितं कारयित्वा स्वकीयराजकुमाराय ततः सुवर्णा शिरी. मुकुटं, निर्मापितवान् , राजकन्या च ते विषयमवगत्य शोकातिशया जाता, संत्र'अनित्य पक्ष ही स्वीकार करने योग्य है। प्रत्येक वस्तु सामान्य अर्थात् .' द्रव्य अंश से सदैव विद्यमान रहती है, अतएव निस्य है किन्तु उसका 'विशेष अर्थात् 'पर्याय अंश क्षण क्षण में बदलता रहता है, वह नई "पुरानी होती रहती है, अतएव अनित्य भी है। कहा भी है-'घट मौलि सुवर्णार्थी' इत्यादि । घट मुकुट और स्वर्ण का अभिलाषी नाश. उत्पाद और ध्रुवता पर्यायों *में क्रमशः शोक, प्रमोद और मध्यस्थभाव को प्राप्त होता है, अतएव सिद्ध होता है कि प्रत्येक वस्तु उत्पाद, विनाश और प्रौव्य से युक्त है। • तात्पर्य यह है कि कल्पना कीजिए-एक राजा को एक प्रिय लड़की है और 'एक गुणवान लड़का है। लड़की का स्वर्ण की बना घट है, रानीने उस *स्वर्णमय घटको सुवर्णकार द्वारा गलवाकर राजकुमारके लिये मुकुंट वन'वाया है। ऐसी स्थिति में घटको मिटाकर मुकुट यनवाया जाने से लड़की को -આ બનેથી જુદા કથ ચિત્ નિત્ય કથંચિત અનિત્ય પક્ષ જ સ્વીકાર કરવાને 'योग्य छे. १२४ १२तु सामान्य अर्थात् द्रव्य, मशथी भेश विधमान २३ છે તેથી જ તે નિત્ય છે. પરંતુ તેના વિશેષ અર્થાત્ પર્યાય અંશ ક્ષણ ક્ષણમાં બદલાતા રહે છે. તે નવીન અને જૂના થતા રહે છે તેથી જ અનિત્ય , 4 छे ,खु पाप छ.-घटमौलि सुवर्णार्थी' त्याह ઘટ, મુગુટ, અને સેનાની ઈચ્છાવાળા નાશ, ઉત્પાદ અને ધ્રુવપણું પર્ધામાં કમથી શોક, પ્રમોદ-આનંદ અને મધ્યસ્થ ભાવને પ્રાપ્ત થાય છે. તેથી જ સિદ્ધ થાય છે. કે-દરેક વસ્તુ ઉત્પાદ, વિનાશ અને બ્રોવ્યથી યુક્ત છે. १४ानु तपय से छे ४-४६५ना ४२॥ 3-२.०नने से प्रिय पुत्री-छ, અને એક ગુણિયલ પુત્ર છે, પુત્રીને સેનાનો ઘડો છે, રાજાએ તે સેનાના " ઘડાને સોની પાસે ગળાવીને કુમાર માટે તેને મુગુટ બનાવ્યો. આ સ્થિતિમાં घाने माने (५८. ३५थी भान) मुकुट माqatथी त छ।शने ६.५

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