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विषय उत्तरोत्तर दुःखसे किनकी प्राप्ति होती है। ...
... ३३३ जब तक विषयोंमें प्रवृत्ति है तब तक आत्मज्ञानकी प्राप्ति नहीं । ... ३३१ कैसा हुआ संसारमें भ्रमण करै है। ...
... ३३२. चतुर्गतिका नाश कोंन करते है। ... अज्ञानी विषयक विशेष कथन। ... वास्तविक मोक्षप्राप्ति कोंन करते हैं ।...
... ३३४ कैसा राग संसारका कारण है। ... सम भावसे चारित्र। ... ... ध्यान योगके समयके निषेधक कैसे हैं ।
... ३३६ पंचमकालमें धर्म ध्यान नहीं मानें है वे अज्ञानी हैं। इस समय भी रत्नत्रय शुद्धिपूर्वक आत्मध्यान इंद्रादि फलका दाता है।... मोक्षमार्गसे च्युत कोंन। ... ..
... ३३९ मोक्षमार्गी मुनि कैसे होते है। .. मोक्षप्रापक भावना। ... ...
... ३४१ फिर मोक्षमार्गी कैसे । ...
... ३४१ निश्चयात्मक ध्यानका लक्षण तथा फल । पापरहित कैसा योगी होता है। . ...
... ३४३ श्रावकोंका प्रधानकर्तव्य निश्चलसम्यक्त्व प्राप्ति तथा उसका ... ध्यान और ध्यानका फल। ... जो सम्यक्त्वको मलिन नहीं करते वे कैसे कहे जाते हैं। ...
३४६ सम्यक्त्वका लक्षण। सम्यक्त्व किसके है। ... मिथ्या दृष्टिका लक्षण । ... मिथ्याकी मान्यता सम्यग्दृष्टीके नहीं । तथा दोनोंका परस्पर
विपरीत धर्म। ... कैसा हुआ मिथ्या दृष्टि संसारमें भ्रमें है। मिथ्यात्वी लिंगीकी निरर्थकता। ... ... जिनलिंगका विरोधक कोंन । आत्मस्वभावसे विपरीतका सभी व्यर्थ है। ...
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