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योग और मंत्र (७) नासिका के अग्रभाग पर प्रणव (ॐ), शून्य (०) और अनाहत (ह) ध्यान करने वाला अणिमा आदि आठ सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है और उसके ज्ञान की निर्मलता बढ़ जाती है।
शंख, कुन्द और चन्द्रमा के समान उज्ज्व ल प्रणव, शून्य और अनहद का ध्यान करने वाला व्यक्ति समग्र विषयों के ज्ञान में पारंगत हो जाता है।
नासाग्रे प्रणवः शून्यमनाहतमिति त्रयम्। ध्यायन् गुणाष्टकं लब्ध्वा ज्ञानमाप्नोति निर्मलम् ।। शंख-कुन्द-शशांकाभान् त्रीनमून ध्यायतः सदा। समग्रविषयज्ञानप्रागल्भ्यं जायते नृणाम्।।
योगशास्त्र ८.६०,६१
२० जनवरी २००६
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