Book Title: Jain Yogki Varnmala
Author(s): Mahapragna Acharya, Vishrutvibhashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati Prakashan

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Page 379
________________ चैतन्य केन्द्र : धारणा के स्थान जैसे हाथी को आलान पर बांधा जाता है, गाय को खूटे पर, वैसे ही चंचल मन को बांधने के लिए जरूरी है कोई आलान अथवा कोई खूटा। मनुष्य के शरीर में आलान है और खूटे भी हैं। कुछ आलान बंधनों के नाम निर्दिष्ट किए गए हैं १. नाभि २. हृदय ३. नासाग्र ४. ललाट ५. भृकुटि ६. तालु ७. नेत्र ८. मुख ६. कान १०. मस्तक योग की भाषा में ये सब धारणा के स्थान हैं। नाभि-हृदय-नासाग्रभाल-भ्रू-तालु-दृष्टयः । मुखं कर्णौ शिरश्चेति, ध्यान-स्थानान्यकीर्तयन्।। योगशास्त्र ६.७ १८ दिसम्बर २००६ FDMP4-24-24-04-04--(३७८) -DCPN-PAPER---

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