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कषाय - विजय (३)
भंते! माया - विजय से जीव क्या प्राप्त करता है ? माया-विजय से जीव ऋजुता को उत्पन्न करता है। वह माया - वेदनीय कर्म-बंधन नहीं करता और पूर्व - बद्ध तन्निमित्तक कर्म को क्षीण करता है।
मायाविजएणं भंते! जीवे किं जणयइ ?
मायाविजएणं उज्जुभावं जणयइ, मायावेयणिज्जं कम्मं न बंधइ, पुव्वबद्धं च निज्जरेइ ॥
उत्तरज्झयणाणि २६.७०
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२८ मई
२००६
१७४
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