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इन्द्रिय-विजय का फल (४) भंते! जिह्वा-इन्द्रिय का निग्रह करने से जीव क्या प्राप्त करता है?
जिह्वा-इन्द्रिय के निग्रह से जीव मनोज्ञ और अमनोज्ञ रसों में होने वाले राग और द्वेष का निग्रह करता है। वह रस-सबंधी राग-द्वेष के निमित्त से होने वाला पूर्व-बंधन नहीं करता और पूर्व-बद्ध तन्निमित्तक कर्म को क्षीण करता है।
जिभिंदियनिग्गहेणं भंते! जीवे किं जणयइ?
जिभिंदियनिग्गहेणं मणुण्णामणुण्णेसु रसेसु रागदोसनिग्गहं जणयइ, तप्पच्चइयं कम्मं न बंधइ, पुव्वबद्धं च निज्जरेइ।
उत्तरज्झयणाणि २६.६६
७ नवम्बर २००६
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