________________
रेचक
कोष्ठ (उदर) स्थित वायु को नासिका, ब्रह्मरन्ध्र और मुख के द्वारा अति प्रयत्नपूर्वक बाहर निकालना रेचक प्राणायाम है।
बाहर की वायु को खींचकर कोष्ठ (उदर) तक ले जाना पूरक प्राणायाम है। उसे नाभिकमल में स्थित करना कुंभक प्राणायाम है।
यत् कोष्ठादतियत्नेन, नासाब्रह्म-पुराननैः। बहिः प्रक्षेपणं वायोः स रेचक इति स्मृतः ।। समाकृष्य यदापानात्, पूरणं स तु पूरकः । नाभिपद्मे स्थिरीकृत्य, रोधनं स तु कुंभकः ।।
योगशास्त्र ५.६,७
११ मई २००६