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योग और मंत्र (५) एक व्यक्ति ज्ञान का विकास करना चाहता है। उसके लिए जरूरी है बुद्धि बल, ग्रहण शक्ति और स्मृति का विकास। कुछ व्यक्तियों में यह शक्ति जन्मना होती है। जिनमें यह शक्ति जन्मना नहीं होती, वे मंत्राभ्यास के द्वारा इस शक्ति को बढ़ा सकते हैं।
ज्ञानशक्ति के विकास का मंत्र-ॐ श्रीं ह्रीं अर्ह नमः।
मुक्तिसौख्यप्रदां ध्यायेद् विद्यां पंचदशाक्षरम्। सर्वज्ञानं स्मरेन्मंत्रं सर्वज्ञानप्रकाशकम्।। वक्तुं न कश्चिदप्यस्य, प्रभावं सर्वतः क्षमः ।
योगशास्त्र ८.४३,४४
१८ जनवरी २००६