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अपरिग्रह अणुव्रत (२) इस अणुव्रत को स्वीकार करने वाला गृहस्थ संतान की सगाई, विवाह के उपलक्ष में रुपये आदि लेने का ठहराव नहीं करता।
वह अपनी परिशुद्ध (नेट) आय का कम से कम एक प्रतिशत प्रतिवर्ष विसर्जन करता है। यदि उसकी परिशुद्ध (नेट) वार्षिक आय पचास हजार रुपये से अधिक है तो वह कम से कम अपनी आय का तीन प्रतिशत विसर्जन करता है। विसर्जित राशि पर अपना किसी प्रकार का स्वामित्व नहीं रखता। __वह अपरिग्रह अणुव्रत की सुरक्षा के लिए उक्त सीमाओं और नियमों के अतिक्रमण से बचता है।
१४ अप्रैल २००६