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कायोत्सर्ग और प्रायश्चित्त
अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह की आराधना में छलना होने पर प्रायश्चित्त स्वरूप १०८ उच्छ्वास का कायोत्सर्ग करना चाहिए ।
कायोत्सर्ग करते समय यदि उच्छ्वासों की संख्या विस्मृत हो जाए अथवा मन विचलित हो जाए तो आठ उच्छ्वास का अतिरिक्त कायोत्सर्ग करना चाहिए।
८ अक्टूबर २००६
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