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कायोत्सर्ग ( ४ )
३. उत्थित - उपविष्ट - जो खड़ा खड़ा कायोत्सर्ग करता है, किन्तु आर्त और रौद्रध्यान से अवनत होता है, वह काया से खड़ा हुआ होता है और ध्यान से बैठा हुआ होता है, इसलिए उसके ध्यान को 'उत्थित - उपविष्ट' कहा जाता है।
४. उत्थित-उत्थित-जो खड़ा - खड़ा कायोत्सर्ग करता है और धर्म्य या शुक्लध्यान में लीन होता है, वह काया से भी उन्नत होता है और ध्यान से भी उन्नत होता है, इसलिए उसके कायोत्सर्ग को 'उत्थित - उत्थित' कहा जाता है।
आर्तरौद्रद्वयं यस्यामुत्थितेन विधीयते । तामुत्थितोपविष्टाह्वं निगदंति महाधियः ।। धर्मशुक्लद्वयं यस्यामुत्थितेन विधीयते । उत्थितोत्थितनामानं, तं भाषते विपश्चितः ॥ श्रावकाचार, ६०, ६१
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४ अक्टूबर
२००६
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