Book Title: Jain Yogki Varnmala
Author(s): Mahapragna Acharya, Vishrutvibhashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati Prakashan

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Page 390
________________ ध्येय का परिवर्तन भगवान महावीर ध्यान के समय ध्येय का परिवर्तन भी करते रहते थे। उनके मुख्य ध्येय थे १. ऊर्ध्वगामी, अधोगामी और तिर्यग्गामी कर्म। २. बंध, बंधन-हेतु और बंधन-परिणाम। ३. मोक्ष, मोक्ष-हेतु और मोक्ष-सुख। ४. सिर, नाभि और पादांगुष्ठ। ५. द्रव्य, गुण और पर्याय। ६. नित्य और अनित्य। ७. स्थूल-संपूर्ण जगत्। ८. सूक्ष्म-परमाणु। ६. प्रज्ञा के द्वारा आत्मा का निरीक्षण। २६ दिसम्बर २००६

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