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कषाय-प्रतिसंलीनता (३) माया की दो अवस्थाएं होती हैं१. अनुदित अवस्था २. उदित अवस्था
साधनाशील व्यक्ति संकल्प के द्वारा माया के उदय का निरोध कर सकता है और उदयप्राप्त माया को विफल कर सकता है। ये दोनों कार्य माया प्रतिसंलीनता के द्वारा किए जा सकते हैं।
मायाउदयनिरोहो वा उदयपत्ताए वा मायाए विफलीकरणं।
ओवाइयं ३७
२२ मई २००६
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