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औदासीन्य ( १ )
योग में औदासीन्य का बहुत महत्त्व है। बाह्य पदार्थों के प्रति उदासीन रहने वाले योगी की चिंतनधारा लौकिक चिंतनधारा से भिन्न होती है। योगी का लक्ष्य है मानसिक स्थिरता - एकाग्रता । संकल्प - विकल्प मानसिक स्थिरता को भंग करते हैं। इसलिए योगी को वैसा चिंतन नहीं करना चाहिए जिससे चित्त संकल्प - जाल से आकुल होकर स्थिरता में बाधक बने ।
औदासीन्यपरायणवृत्तिः किञ्चिदपि चिन्तयेन्नैव । यत् संकल्पाकुलितं चित्तं नासादयेत् स्थैर्यम् ॥ योगशास्त्र १२.१६
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२२ जून २००६
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