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अनर्थदंड विरमणव्रत अणुव्रतों को स्वीकार करने वाला गृहस्थ अनर्थदंड का प्रत्याख्यान करता है। इसके चार प्रकार हैं
१. अपध्यानाचरित–आर्त, रौद्र ध्यान की वृद्धि करने वाला आचरण।
२. प्रमादाचरित-प्रमाद की वृद्धि करने वाला आचरण । ३. हिंस्रप्रदान–हिंसाकारी अस्त्र-शस्त्र देना।
४. पापकर्मोपदेश-हत्या, चोरी, डाका, द्यूत आदि का प्रशिक्षण देना। इस अनर्थदंड विरमण व्रत की सुरक्षा के लिए वह निम्नलिखित अतिक्रमणों से बचता है
१. कन्दर्प-कामोद्दीपक क्रियाएं। २. कौतकुच्य-कायिक चपलता। ३. मौखर्य-वाचालता। ४. संयुक्ताधिकरण-अस्त्र-शस्त्रों की सज्जा।
५. उपभोग परिभोगातिरेक-उपभोग-परिभोग की वस्तुओं का आवश्यकता के उपरांत संग्रह।
१७ अप्रैल २००६
FABLA-BABELOPADMAS--१३०
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