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ध्यान : कालमान (३)
जैसे ध्यान के लिए किसी देश (क्षेत्र) का नियम नहीं है वैसे ही काल का नियम नहीं है। ध्यान प्रातः काल अच्छा होता है या सायंकाल - यह भी कोई नियम नहीं है। ध्यान दिन में अच्छा होता है या रात में यह भी कोई नियम नहीं है। जिस समय योग का समाधान हो सके – मन, वचन और शरीर स्वस्थ रहे, वही ध्यान का काल है ।
कालोऽवि सोच्चिय जहिं जोगसमाहाणमुत्तमं लहइ । न उ दिवसनिसावेलाइनियमणं झाइणो भणियं ।। झाणज्झयणं ३८
६ जुलाई
२००६
२१३
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