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सम्यक्त्व
सिद्धसेन ने सम्यक्त्व के छह स्थान बतलाए हैं
१. आत्मा है।
२. आत्मा अविनाशी है, उसका कभी नाश नहीं होता । वह अतीत में था, वर्तमान में है और भविष्य में रहेगा ।
३. आत्मा कर्म का कर्ता है।
४. आत्मा कर्मफल का भोक्ता है।
५. आत्मा का मोक्ष होता है- आत्मा का निर्वाण होता है। ६. मोक्ष का उपाय है।
अत्थि अविणासधम्मी करेइ वेएइ अत्थि णिव्वाणं । अत्थि य मोक्खोवाओ छस्सम्मत्तस्स ठाणाई || सन्मति प्रकरण ३.५५
४ अप्रैल
२००६
११७
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