Book Title: Jain Yogki Varnmala
Author(s): Mahapragna Acharya, Vishrutvibhashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati Prakashan

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Page 380
________________ चैतन्य केन्द्र और अंतःस्रावी ग्रंथि तंत्र वृत्तियों के आवेगात्मक बलों के उद्दीपक या शमन करने की चाबी है अंतःस्रावी ग्रंथियां | ये चैतन्य केन्द्रों के संवादी मूलभूत केन्द्र हैं । सारी ग्रंथियां परस्पर रासायनिक प्रक्रियाओं के द्वारा सम्बद्ध हैं। वे मस्तिष्क और नाड़ी तंत्र के साथ भी पूर्णरूप से जुड़ी हुई हैं। नाड़ी तंत्र की प्रवृत्तियां इनसे प्रभावित होती हैं और उन्हें प्रभावित करती हैं। अंतःस्रावी तंत्र का असंतुलन मस्तिष्क को प्रभावित करता है और चिंतनधारा को दूषित करता है। चैतन्य केन्द्र प्रेक्षा का अभ्यास अंतःस्रावी तंत्र के संतुलन को पुनःस्थापित करने की क्षमता प्रदान करता है । १६ दिसम्बर २००६ ३७६ २ DGD

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