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हा कालाकारका कलाकार कलाकार कल कल कल
कल कल कल का
इन्द्रिय-विजय का फल (५) भंते! स्पर्श-इन्द्रिय का निग्रह करने से जीव क्या प्राप्त करता है?
स्पर्श-इन्द्रिय के निग्रह से जीव मनोज्ञ और अमनोज्ञ स्पर्शों में होने वाले राग और द्वेष का निग्रह करता है। वह स्पर्श सबंधी राग-द्वेष के निमित्त से होने वाला पूर्व-बंधन नहीं करता और पूर्व-बद्ध तन्निमित्तक कर्म को क्षीण करता है। फासिंदियनिग्गहेणं भंते! जीवे किं जणयइ?
फासिंदियनिग्गहेणं मणुण्णामणुण्णेसु फासेसु रागदोसनिग्गहं जणयइ, तप्पचइयं कम्मं न बंधइ, पुव्वबद्धं च निज्जरेइ।
उत्तरज्झयणाणि २६.६७
८ नवम्बर २००६