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ध्यान की कालावधि (१) ध्यान के अधिकारी दो कोटि के होते हैं१. छद्मस्थ आवरणयुक्त ज्ञान वाला। २. केवली-निरावरण ज्ञान वाला।
छद्मस्थ का एक आलंबन पर चित्त का अवस्थान निश्चित समय तक होता है। समय की अवधि है अंतर्मुहुर्त। उसके पश्चात् ध्यान की धारा बदल जाती है, ध्यानान्तर हो जाता है अथवा चिंतन का प्रारंभ हो जाता है।
अंतोमुहत्तमेत्तं चित्तावत्थाणमेगवत्थंमि। छउमत्थाणं झाणं जोगनिरोहो जिणाणं तु॥ अंतोमुत्तपरओ चिंता झाणंतरं व होज्जाहि।
झाणज्झयणं ३.४
७ जुलाई
२००६