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योग और मंत्र ( ६ )
चांद के बिम्ब से समुत्पन्न, उज्ज्वल और अमृतवर्षिणी 'क्ष्वीं' विद्या को अपने ललाट पर स्थापित कर उसका ध्यान करें। उसके बाद चन्द्र कला का ललाट पर ध्यान करें ।
इस ध्यान से भावनात्मक समस्याएं सुलझती हैं, क्रोध शांत होता है और परम आनंद की अनुभूति होती है।
शशिबिम्बदिवोद्भूतां स्रवन्तीममृतं सदा । विद्यां 'क्ष्वीं' इति भालस्थं ध्यायेत्कल्याणकारणम् ॥ क्षीराम्भोधेर्विनिर्यान्तीं प्लावयन्तीं सुधाम्बुभिः । भाले शशिकलां ध्यायेत् सिद्धिसोपानपद्धतिम् । योगशास्त्र ८.५७,५८
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१६ जनवरी
२००६
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